Book Title: Tirth Darshan Part 3
Author(s): Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publisher: Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai

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Page 249
________________ विशिष्टता यहाँ से लगभग चार फल्ग (1.0 कि. मी.) की दूरी पर एक स्थल कोटे पर्वत के नाम से प्रसिद्ध है । कहा जाता है यहीं पर मदनेस कुमार और विस्कंवल केवलियों ने निर्वाण प्राप्त किया था इसके पूर्व दिशा में मदनेसागर है, जो पहाड़ियों से घिरा हुआ है । श्री पानाशाह द्वारा खरीदा हुआ रांगा मूर्ती बननेवाली शिला से स्पर्श होने से चाँदी बन जाने की कथा प्रचलित है । यहाँ पर अभी भी अनेकों प्रकार की चमत्कारिक घटनाएँ घटती रहती हैं । प्रति वर्ष मार्गशीर्ष शुक्ला 13 से पूर्णिमा तक वार्षिक मेला होता है । तब हजारों यात्रीगण इकट्ठे होकर प्रभु-भक्ति का लाभ लेते हैं । अन्य मन्दिर इसी परकोटे में सात और मन्दिर हैं । चार फलाँग (1.0 कि. मी.) दूर एक पर्वत पर मदनेशकुमार और विस्कंवल केवलियों के निर्वाण स्थान पर, एक प्राचीन मन्दिर है जिसका जीर्णोद्धार हाल ही में हुआ था । कला और सौन्दर्य प्रतिमा सुन्दर और कलात्मक है जिसे देखने पर ऐसा लगता है कि प्रतिमा पन्ने की बनी है । एक ही शिला में निर्मित दसवीं सदी का एक युगल मानस्तम्भ दर्शनीय है । तीर्थ स्थान के निकट तीन मील (4.8 कि. मी.) लम्बा पुरातन मदनेश सागर है । मार्ग दर्शन यहाँ से निकट का रेल्वे स्टेशन ललितपुर 82 कि. मी. तथा निपाडी 92 कि. मी. है। यह स्थल बलदेवगढ़-छत्तरपुर मार्ग में टीकमगढ़ से 24 कि. मी. व झाँसी से 120 कि. मी. दूर है। इन स्थानों से टेक्सी व बसों की सुविधाएँ हैं । आखिर तक पक्की सड़क है । सुविधाएँ ठहरने के लिए मन्दिर के निकट ही सर्वसुविधायुक्त विशाल धर्मशालाएँ है, जहाँ पर भोजनशाला की भी सुविधाएँ उपलब्ध है । पेढ़ी 8 श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र, अहारजी । पोस्ट : अहार - 472 001. जिला : टीकमगढ़, प्रान्त : मध्यप्रदेश, फोन : 07684-55230 पिढ़ी) 07683-32345 (मंत्री कार्यालय टीकमगढ़) श्री शान्तिनाथ भगवान-आहारजी 725

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