Book Title: Tirth Darshan Part 3
Author(s): Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publisher: Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai

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Page 248
________________ श्री अहारजी तीर्थ तीर्थाधिराज श्री शान्तिनाथ भगवान, कायोत्सर्ग मुद्रा, हरित वर्ण, लगभग 5.5 मीटर (दि. मन्दिर) । तीर्थ स्थल अहार गाँव के निकट मदनेस सागर एवं सुरम्य पहाड़ियों के मध्य । प्राचीनता प्राचीन काल में मदनेसपुर, मदनेसागरपुर, वसुहारिकपुर तथा नन्दनपुर आदि नामों से यह तीर्थ स्थल प्रसिद्ध था । श्री मल्लिनाथ भगवान के समय मदनकुमार केवली का निर्वाण यहीं हुआ था । इसी कारण प्राचीन काल में इसका नाम मदनेसपुर पड़ा था, ऐसी किंवदन्ती है । कहा जाता है कि 724 श्री पाना शाह जिन दिनों यहाँ पड़ाव डाले हुए थे, उन दिनों अनेकों मुनिराजों का यहाँ पारण ( अहार) हुआ करता था । इसलिए इस स्थान का नाम अहार पड़ा। यह एक प्राचीन तीर्थ है । यहाँ पर अनेकों जिन मन्दिर ये जिनके अवशेष आज भी यहाँ के आसपास की पहाड़ियों पर पाये जाते हैं । प्रतिमा पर अंकित शिलालेख के अनुसार, कलाकार श्री पापट द्वारा निर्मित इस भव्य शान्त प्रतिमा का प्रतिष्ठापन यहाँ के राजा श्री मदन वर्मा के शासन काल में सेठ रलहण जी ने विक्रमी सं. 1237 में करवाया था । यहाँ के शिलालेखों में जैन समाज की 32 अन्तर्जातियों का व भट्टारकों के शिष्य प्रशिष्यों एवं आर्यकाओं की शिष्यणी, प्रशिष्यणियों का वि. सं. 1200 से 1607 तक का उल्लेख मिलता है । आहारजी मन्दिर का दूर दृश्य

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