Book Title: Tirth Darshan Part 3
Author(s): Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publisher: Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai

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Page 244
________________ 720 श्री चन्द्रप्रभ भगवान जिनालय प्रवेश द्वार श्री सोनागिर तीर्थ तीर्थाधिराज श्री चन्द्रप्रभ भगवान, कायोत्सर्ग मुद्रा में लगभग 3.66 (12 फुट ) (दि. मन्दिर ) । तीर्थ स्थल सनावल गाँव के पास अनेकों मन्दिरों के साथ एक पहाड़ी पर सुशोभित । प्राचीनता प्राचीन काल में इसे श्रवणगिरि कहते थे । विक्रम संवत् 335 में इस तीर्थ के जीर्णोद्धार होने का उल्लेख है । इसके पूर्व इतिहास का पता लगाना कठिन है । मन्दिर को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि विक्रमी संवत् 335 के बाद अनेकों बार इस मन्दिर का जीर्णोद्धार हुआ होगा । विशिष्टता दि. जैन शास्त्रों के अनुसार नंग, अनंग आदि अनेकों मुनियों ने यहाँ निर्वाण प्राप्त किया । अष्टम तीर्थंकर श्री चन्द्रप्रभ भगवान का समवशरण यहाँ पर भी रचा गया था, ऐसा उल्लेख मिलता है । अन्य मन्दिर इसके अतिरिक्त शिखर युक्त अन्य 126 मन्दिर भी इस पहाड़ी पर हैं जिनके शिखरों का दूर से दर्शन होता है। पहाड़ी की तलहटी में 25 मन्दिर हैं । श्री चन्द्रप्रभ भगवान मन्दिर-सोनगिर

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