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श्री महुड़ी तीर्थ
तीर्थाधिराज श्री पद्मप्रभ भगवान, श्वेत वर्ण, पद्मासनस्थ, 53.3 सें. मी. (21 इंच) (श्वे. मन्दिर)। तीर्थ स्थल 8 महुड़ी (मधुपुरी) गाँव के पूर्व दिशा में।
प्राचीनता 8 प्राचीन काल में इस क्षेत्र को खडायत कहते थे जिसमें कोटार्यक भी शामिल था । महुड़ी को प्राचीन काल में मधुमती कहते थे । इस क्षेत्र में भूगर्भ से प्राप्त जिन प्रतिमाओं व कलात्मक अवशेषों से यह प्रतीत होता है कि यह तीर्थ क्षेत्र लगभग 2000 वर्ष प्राचीन है व यहाँ अनेकों जिन मन्दिर और जैन श्रावकों के घर रहे होंगे । कुछ वर्ष पूर्व चार प्राचीन प्रतिमाएँ कोटार्यक मन्दिर के निकट भूगर्भ से प्राप्त हुई थीं जिनमें श्री शान्तिनाथ प्रभु की पंचधातु से निर्मित प्रतिमा पर ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण लेख से सिद्ध होता है कि यह प्रतिमा लगभग दो हजार वर्ष पूर्व की है जो कि पंचधातु की जिन प्रतिमाओं में प्राचीनतम मानी जाती है । यहाँ के तीर्थाधिराज श्री पद्मप्रभु भगवान की प्राचीन, सुन्दर प्रतिमा को इस नवनिर्माणित मन्दिर में विक्रम संवत् 1974 में आचार्य देव श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराज के करकमलों द्वारा पुनः
श्री घंटाकर्ण महावीर-महुड़ी
श्री पद्मप्रभ भगवान मन्दिर-महुड़ी
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