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श्री पेथइशाह द्वारा, श्रीधर्मघोषसूरिजी के आगमन के भव्य स्वागतपर, सम्पूर्ण नगरी का श्रृंगार करने का कार्य उल्लेखनीय है । उसी भाँति झांझण शाह द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करके निकाला हुआ 'श्री शत्रुंजय यात्रा संघ' प्रशंसनीय एवं उल्लेखनीय है । उप मन्त्री मण्डन ने मण्डन शब्दान्त वाले अनेकों ग्रन्थ लिखे जो आज भी उपलब्ध हैं ।
श्री संग्राम सोनी ने बुद्धि सागर ग्रन्थ की रचना की और स्वर्णाक्षरों से 'आगम' लिखवाये जिससे बादशाह मुहम्मद खिलजी के राज दरबार में उन्हें भव्य रूप से सम्मानित किया गया था ।
श्री जावड़ शाह ने अनेकानेक धार्मिक एवं उदारता के अनुपम कार्य किये थे, जिससे प्रेरित होकर बादशाह गयासुद्दीन ने उन्हें 'श्रीमाल भूपाल' तथा लघु साली भद्र' की उपाधियाँ प्रदान की थीं। अनेक प्रमाणों के आधार पर यह भी कहा जाता है कि एक जमाने में यहाँ पर, सात सौ जिन मन्दिर व पौषधशालाएँ थीं तथा छ लाख से भी अधिक जैनों की महा नगरी आबाद थी । नवीन रूप से बसने वाले प्रत्येक जैन भाई को हर घर से एक स्वर्ण मुहर और एक ईंट दी जाती थी। स्वधर्मीय बन्धु के प्रति इस प्रकार की सहयोग भावना सराहनीय मानी जाती है। यह पावन स्थल यहाँ की पंचतीर्थी का एक मुख्य स्थल है।
अन्य मन्दिर इसी परकोटे में श्री शान्तिनाथ भगवान का एक और पुरातन मन्दिर हैं। कुछ वर्ष पूर्व श्री पार्श्वनाथ भगवान के नूतन मन्दिर का व श्री शत्रुंजय, श्री सम्मेतशिखरजी व श्री जंबूद्वीप रचनात्मक मन्दिरों का निर्माण हुवा है ।
कला और सौन्दर्य माण्डव दुर्ग यानी माण्डु भारत में एक प्रसिद्ध पुरातात्विक स्थल है जहाँ प्राचीन कला और सौन्दर्य के असंख्य अवशेष आज भी दिखायी देते हैं ।
मार्ग दर्शन यहाँ से निकट का रेल्वे स्टेशन इन्दौर लगभग 97 कि. मी. और बड़ा गाँव धार 33 कि. मी. व रतलाभ 127 कि. मी. की दूरी पर स्थित है । इन स्थानों से बस व टेक्सी का साधन उपलब्ध है । बस स्टेण्ड से मन्दिर 100 मीटर है । मन्दिर तक पक्की सड़क है ।
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सुविधाएँ ठहरने के लिए मन्दिर के पास सर्वसुविधायुक्त विशाल धर्मशाला है, जहाँ पर भोजनशाला सहित सारी सुविधाएँ उपलब्ध है। संघ वालों के लिए अलग से भोजन कक्ष व रसोडे की व्यवस्था है । उपाश्रय भी बने हुए है I
पेढ़ी श्री जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी, माण्डवगढ़, पोस्ट : माण्डु - 454010.
जिला धार, प्रान्त : मध्यप्रदेश, फोन : 07292-63229.