________________
श्री सिद्धवरकूट तीर्थ
विक्रम संवत् 1545 में श्री सोमसेन स्वामी जी द्वारा प्रतिष्ठापित की गयी है । इस मन्दिर का पुनः
जीर्णोद्धार विक्रम संवत् 1951 में हुआ था । यहाँ पर तीर्थाधिराज श्री महावीर भगवान, श्याम वार्षिक मेला फाल्गुन शुक्ला त्रयोदशी से पूर्णिमा तक वर्ण,कायोत्सर्ग मुद्रा में लगभग 122 सें. मी. (4 फुट) लगता है । पूर्णिमा के दिन मंडल विधान की समाप्ति, (दि. मन्दिर)।
विमान जुलूस एवं कलशाभिषेक होते हैं। तीर्थ स्थल नर्मदा नदी के किनारे, ओंकारेश्वर विशिष्टता 8 यहाँ पर श्री सनत कुमार एवं (मान्धाता) गाँव के निकट कावेरी नदी के तट पर । मंधवा दो चक्रवर्ती तथा वत्सराज आदि 10 कामदेव प्राचीनता जैन शास्त्रों के अनुसार यह तीर्थ अनेकों मुनियों के साथ मोक्ष को प्राप्त हुए थे, ऐसा
अनेको मुनिया के साथ मोक्ष का प्राप्त हु अति प्राचीन माना जाता है । वर्तमान में भी यहाँ के निर्वाण कांड में व शास्त्रों में उल्लेख मिलता है । अन्य मन्दिरों की प्रतिमाओं पर उनकी प्राचीनता के अन्य मन्दिर वर्तमान में इसके अतिरिक्त इसी लेख अंकित हैं । श्री आदीश्वर भगवान की प्रतिमा पर परकोटे में दस और मन्दिर हैं । विक्रम संवत् 11 का लेख उत्कीर्ण हैं ।
कला और सौन्दर्य यह क्षेत्र नर्मदा और इस मन्दिर में श्री चन्द्रप्रभ भगवान की भव्य प्रतिमा कावेरी नदी के संगम के पश्चिम दिशा में पर्वतों के
मन्दिर-समूहों का दृश्य-सिद्धवरकूट
676