Book Title: Tirth Darshan Part 3
Author(s): Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai
Publisher: Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai

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Page 164
________________ दिया जा चुका है । अहमदाबाद की स्थापना के पूर्व से आज तक यहाँ के जैन श्रेष्ठियों द्वारा दिया गया योगदान चिरस्मरणीय है। मुसलमानों के राजत्वकाल में सेठ श्री शान्तिदासजी को नगर सेठ की उपाधि से अलंकृत किया गया। नगर सेठ द्वारा किये गये जन कल्याण के कार्य प्रशंसनीय हैं । नगर सेठ द्वारा वि. सं. 1682 में निर्मित विशाल, स्थापत्य में उत्कृष्ट, सर्वांगसुन्दर श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ भगवान के मन्दिर को वि. सं. 1700 में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया । इस पर पूरे गुजराज की जनता में हलचल मच गई। नगर सेठ का दिल्ली दरबार में अच्छा मान था । नगर सेठ द्वारा विदित करवाते ही शाहजहाँ ने तुरन्त मन्दिर को सही सलामत नगर सेठ को संभलाने का आदेश जारी किया, ऐसा उल्लेख है । पश्चात् शाहजहाँ के पुत्र औरंगजेब ने तो इसे ध्वस्त कर दिया । आज उसका नामोनिशान भी रहने न पाया । सं. 1717 के दुष्काल में सेठ श्री शान्तिदासजी के सुपुत्रों द्वारा दिया गया योग दान उल्लेखनीय है । वि. सं. 1746 में यहाँ 178 जैन मन्दिर व पचास हजार जैन श्रावकों के घरों की बस्ती थी, ऐसा पं. शीलविजयजी द्वारा रचित "तीर्थ माला” में उल्लेख है । 640 - झवेरीवाद में स्थित श्री संभवनाथ भगवान का मन्दिर सबसे प्राचीन माना जाता है। झवेरीवाड़ के नीशापोल में श्री जगवल्लभ पार्श्वनाथ भगवान का मन्दिर लगभग वि. सं. 1600 में श्री संघ द्वारा निर्मित बताया जाता है । प्रतिमा अति ही कलात्मक व चमत्कारिक है । कहा जाता है किसी समय इस प्रतिमा के दर्शन के लिए एक स्वर्ण मुहर देनी पड़ती थी । यहाँ की चमत्कारिक घटनाएँ प्रचलित है। यह मन्दिर कलात्मकता के लिए विशेष स्थान रखता है । इस शहर में विविध जैन मन्दिरों के अतिरिक्त 11 ज्ञान भन्डार हैं, जिनमें प्राचीन हस्तलिखित महत्पवूर्ण जैन इतिहास को प्रकाश में लाने वाले हजारों ग्रन्थों के दर्शन होते हैं, जो जैन संघ की महानिधि हैं । साथ-साथ वे जैन संघ व भारतके गौरव रूप हैं । मंत्री श्री वस्तुपाल तेजपाल, राजा कुमारपाल व मंत्री श्री पेयइशाह आदि अनेक राजाओं मन्त्रियों व श्रेष्ठियों द्वारा लिखवाये गये व प्रकाण्ड आचार्यों द्वारा लिखे गये अमूल्य ग्रन्थों के यहाँ दर्शन होते है। यहाँ अनेकों जैन पुस्तकालय, उपाश्रय, शास्त्रीय व धार्मिक अध्ययन के लिए अनेक ज्ञानशालाएँ व पाठशालाएँ हैं। नगर सेठ श्री शान्तिदासजी जैसे महान व्यक्तियों के कारण उस समय से जैन संघ का नेतृत्व सम्भालने की जिम्मेदारी भी यह नगर निभा रहा है । आज भी सेठ हठीसिंह जिनालय कर्णावती (अहमदाबाद)

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