Book Title: Tiloypannatti Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, Chetanprakash Patni
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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तिलोयपणती
[ गाथा : ६२-६५ कम्मं सोनीम कुरे, वासम्मा अबर-भोगभूमीए । सत्त हबते' भक्झिम भोगसिवीए वितिणि पुरं ॥३२॥
२१७ । ३ । उत्तम भोग-महोए, बालासर होति झाला FrtsrESEAREST xxx रहरे। तसरेणू, बोणि तहा तिमि तुररे ॥६३।।
सतय तमासगा, ओसण्णासन्णया तहा एपको । परमाणून 'अगंतागंता संखा इमा होवि ॥६॥
७। । पर्च:-एक कोस, एक हजार पाँचसौ तिरेपन धनुष, किष्क और हापकै स्थानमें शून्य, एक वितस्ति, पादके स्थानमें शून्य, एक अंगुल, सह जो, तीन यूक, ३ तौल, कर्मभूमिमे दो बाला, जघन्य मोगभूमिके सात बालान, मध्यम भोगभूमिके तीम बालाग, उत्तम भोगभूमिके सात वासा, पार रपरेणु, दो सरेणु, तीन टरेणु, सात सप्तासन्न, एक भवसत्रासन्न एवं अनन्तानन्त परमाणु प्रमाण, इस जम्बूदीपका क्षेत्रफल है ।।६०-६४।।
सिवान:-गापा ५९ के विशेषार्थ में ७६०५६१४१५० योजन पूर्ण और योजन अवषिष्ट, जम्मूद्वीपका क्षेत्रफल बतलाया गया है। इस अवशिष्ट रामिके कोस भादि बनाने पर (AAHREE )=१ कोस, (NRN )=१५५३ घनुष, इसीप्रकार किष्कु ., हाप ., विसस्ति १, पाद , अंगुल है, जो ६ ३, सौस ३, कर्मभूमिके बाल २, प. मोगा के बाल ७, मध्यम भोग० के ३ बाल, उत्तम भोग के ७ बाल, रयरेणु ४, प्रसरेणु २, टरेणु ३, सन्त्रासन ७ पोर अवसत्रासम्म प्राप्त हुए तपास अंश मेष रहे जो अनम्तानन्त परमाणुओके स्थानीय है।
महप्तास'-सहस्सा, पणवत्तायउत्सवा घंसा । हारोएपक सावं. पंच सहस्सानिपज सपा गवयं ॥६५॥
१. ज.प्ति । २. क.
उ. पणतोता। .क.पा. स. पलास ।