________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
१८
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
*द कर के आँच पर रकवे जव नाईबा को चटकनोंनंद नहो । सजी ॥ सजी के ट्रैकर कर के एक माटी के ठीकरा में घर के सच पर धरे जव नाई बा की रंगत नवलजाय। सवताईन उतारे॥षपरिया। पपरिया कोचमें गरम करके कई बेर गुलाबजल तथामा अथवा अनारको र तथा नीबू के रस में भुजा वै तो शुद्ध होय ॥ चूना। चूना और मोटी के पानी में घोल के छान के रष ले जव वा की गाद वैठ जाय तव वा पानीको नितार के गाद को सु घाले ॥ अथ काष्टादिक कीशोधन परक्रिया अ फीम के टूकर करके पानी तथा गुलाव जल में चार पहर ताई भिजो के साँच पर धरै और खूब भीड के धि लमिल हो जाय फिर छान के वा को मेल दूर करके पा नी को पका के गोली बाधने योग्य हो जाय सरजी वा में साधी अंगूर की शराब डाल के पकाने तो अतिन शीली और निरोग हो जाय ॥ उन्नम फीम वह होती है जो तुरत पानी में घुल जाय, यांच में मिल जाय और धू प में पिगल जाय और सुगंध विशेषदेने लगे। कुचला ॥ कुच स्लाको तीन दिन ताईपानी में भिजो वै सौरपानी को नित्य बदलता रहे पीछे गाय के दूध में सौटा के खीर छील के चक्कू से वो हो तमहीन कतर के सुषाले । शलु मा॥ एलुसो को सेव तथा वीह तथा शलगम तथागा जर में घोट के कपड़ा लपेट के खून लगा के पाँच में डा लदें थोड़ी देर पीछें एलु साताई गरमी प्राप्त होगीतवनि काल के सुषाले ॥ भिलाये॥ मिलाये के दो टूक करके | गरम कड खातथा दो पत्थर के नीचे दबावै जो शहतसो
For Private and Personal Use Only