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साँभर नोंन । खूबकला। तीन तोले। गेहूं की भुसी) वेरके पता। छै२ तोले ॥ श्रथवा ॥ काली झापा शु ल बाबूना। रक्तमी के बीज । तीन तोले। बेर के पत्ता सहजने के पत्ता | चार २ तोले। सोभर नोन दो तोलले || हर्फ ताय ॥ ॥ फसलवारवी ॥ ॥ तिरीया ॥ अर्थात् जहर महरों के नुसखों में ॥ प्रघ हो के पहले तो विरीयाओं की क्रिया हकी मांने फाद जहर की वस्तु से करी थी पीछे कही कड़ी वस्तु से बना ने का प्रारंभ किया या से यह प्रयोजन है के सामने रोग । को तिर्यक इतना गुएरा करें हैं जितना फाट् जहर विशों के टूर करने में दूर करे है । तिरीयाक ॥ सर वह || या को संदर्भश्वस हकीम नें चलाया वन जाने से चालीस दिन पीछे काम में लाने के योग्य हो ता है । या को वल परा कम दो वर्ष तांई अच्छे प्रकार से रह ता है। वादी के जमाव को दूर करे और जिगर तथा । तिल्ली को अच्छा है चोरे गोठे को बोलता है और प्र त्येक पसूमों के विस का जहर महरा है और मुवाद | को वहावै खौर मरे बच्चा को निकाले और मिरगी त माहोल दिली और सीत के विकारों को गुरण दायक है। ॥ विधि ॥ जवासे के बीज । पाषान वेद । वीजा बोल। जरा वंद तवील तथा जरावंद मद हर जसव बरावरले के चूरन कर के भागलीये तीन गुने सहन में मिलाके मात्रा एक मासे से चार मासे लाई की है सौर जोराकर्मग केसर मिलावे तो बहुत मुलायम मोर बलवान हो । जाय ॥ तिरीयाक समानीये॥ अर्थात् साठवस्तों क
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