Book Title: Tibba Ratnakar
Author(s): Kanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
Publisher: Kanhaiyalal Munshi

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Page 282
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - - जो नरों के दर्द को और कलेजाके दर्द को चीरस्वा सको दूरकरै-थोरवलको वहावै॥विधिव कराके धडकोश फाडके वादेंजराबंदमदहरज, कालोजीरो।नतरून तीन२माशेचूरन करकेनस परछिडके और सुधाकै सवकी-चूरन करकेराये पातकाल माशेफाँक के ऊपर से थोडोपानीपी लेादवाजी पुतंइन्द्रीपरलेपकरके मैथुनक रेतो स्त्रीनसपर घसन्नहोय और स्त्रीश्यपनी योन में लगा के मैथुन करतो पुरष घसन्नहीयजा याविधिगपीपराकच्चीसुहागो। कबूतरकीवी टाकपूरासववरावरलेके शहत में मिलाकेले पकरेगारोगनचनाको तेल पातालयंत्रकी हसे निकाल के यधपि दुर्गधी होती है परंतु किसीप्रकारसेकिसी वस्तुमै मिलाकेवायसीपु वहुतजोयाकीवाघरचीर कोई दवापुछाई में नहीं है ।लपाजीमामोदर परलगावतो वमन लावैऔर डूंडीपरलगावलीदस्तलावधी रपेडूपररावे तोमूत्रचौररितुमारी करे॥विधि वायविडंगाकरेलाको असारीतीज२माशामा पेद कुटकीभरदासंगचारमा। चूरनकरके// प्रथमहतोलेजनन वा पुरानीसरसोकैतेलमेंस पेदमोमोरधकरे की चरवीरकरतोलेगलाके || चूरन को मिलावै।लेप जीयाको कपडाके फोया परलगाकेजदरके महिपररावेतोबादीकैदस्ती लावैऔरजी वगलकैनीचैलगावेलोपिकेद - - - - - For Private and Personal Use Only

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