Book Title: Tibba Ratnakar
Author(s): Kanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
Publisher: Kanhaiyalal Munshi

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Page 284
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - - मिरगी रोगके दूर करने में टोटका सोरहावि अकरकरा मरवेलाउस्तुवदूस।विशफाय जाफिस्तकी। सवधरावरलेके चूरम करके दूनेश हत में और मुनक्कादायमें पीस के मिलावैश्रीरधर्की वैमात्रामाशेसेउमाशेताई की लेनीपटोटका। नेवला कोमान्ससघाके चूरन करकेचायतो पुष्ट। करै-ौरवातोदर को दूर करें और सारेविषों काजा हरमोहोर है।दूसरोटोटकाकि टांगकदर्दको यद्यपि पीडादोषतमें कडीहै परंतु मोहम्मद करीयाराजीने याटोटका कीपर चाय केलियी। एल्लूभा।बडीदढीमीठोणेरनजानासवधावरले केगोलीचनावैीरनोंमाशेषाके थोड़ोसोगरम पानीकपरसेपीले तो पानछेदस्तके होतेई तुर्त ऐगदूरहोजायाटोटका पटे राजोतलावधी रझील और विशेष पानी के किनारपरसमजाताहै। वाको गोंदभीकहते हैं औरचाकीचटाई भीवनाईओ ती है ताकोजलाके वाकीभस्म पानी में घोल केपीवे। तोरुधिरथूकने को रोगदूरहोय श्रोस"सिरका घोल के टपकाने से नासूरदूरहोयह टोटका। विधाए पानी में पीस के गुनगुना करके लगाने वाध | ने से गठयावाब दूरहोय।। फसलदसा वरीस्माता गपघट होकेवाजेरोगमुनासिवादवासे। ईम्बरकीरूपासे तुरतदूर हो जाते हैं जैसे मस्तकपीडा नो पूर्वरूपहीयमस्तक और तो ईश्वरकीसहायता - - - ॥ ललाट For Private and Personal Use Only

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