Book Title: Tibba Ratnakar
Author(s): Kanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
Publisher: Kanhaiyalal Munshi

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Page 253
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २३४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ मुरहमा । जो मुद्दा की घुजली और पीड़ा को गुएा करे॥ विधि || मकोय । छिली मसूर । गुलाब के फूला वरावर के लेके चूरन कर के हरे धनिये के रस मैं मिला के पका वै मोर गुल रोशन मिला के मरह म वनावै ॥ मरहम | जो ख़ुदा के भगंदर को गुण के रै विधि। सुपेद मोम र तोले। सरसों को तेल ४ तो ले मुदसिंग गुलनार । आवा हल्दी। दम्मुल भव वेन । फिटकिरीभुनी । सुर्मा । बारह सीगा की भस्म दो २ माशे ॥ मरहम् ॥] जो इन्ट्री के अषम को गुण करें ॥ विधि ॥ मैौम दो तोले । गुलरोगन ४ तोले में श लाके । है माझे लीला थोथा घोट के मिला केमरह म बनावै ॥ मरहम ॥ राना जो इन्ट्री के घावों में ऐसो कोई नहीं है और परचायो है ॥ विधि ॥ सुवेद मोंम २ तोले ।५तोले गुल रोगन में पिगना के । सुपेदश लतोले । बंग। दम्मुल सरखवने । मुर्दासिंग | लीला थोथा । पुलन्सर। कालीमिर्च । है माशे चूरन करके महीन मिलावे और घाव की नित्य मेंहदी के पन्नों के पानी से तथा चोबचीनी के पानी से धोके या मरहम को फायो लगावै ॥ मूरहून शिंग रफ! जो डको श और कंठमाला और बडे फोड़ा के घावों को दूर क रै ॥ विधि। मुर्दासिंग गंधा विरोजा इमोशे । लोना नाशक । बबर को गोंद शिंग रफ न २ माशे मस्तगी नो माझे ! थोडी सिरसों को तेल मिला के घोटे ॥ म रहम्।। के इन्ट्री विना राध मोर राधयुक्त के तरको । सुषो वे और अच्छा करें || विधि | लोहे को मेल For Private and Personal Use Only

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