Book Title: Tibba Ratnakar
Author(s): Kanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
Publisher: Kanhaiyalal Munshi

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Page 269
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २५० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज। मूली के बीज । दोनों तोदरी। दोनों मूसली। एक २ तो ले। सिलाजीताकर करा। लोंग। जावित्री । आ यफल। काली मिर्च । दाल चीनी। नीं२ भाशे । शहत | खोर सुपेद बूरो सच से दूनों लेके पाक बनावै मात्रा छै माशे से तोले भरताई की ॥ माजून मसीहा ॥ स संत इन्ट्री और पीठ को वल बैन करे और भोजन को पचावैहै॥] विधि। अकरकरा | १|| तोले । जायफल | नग ३ | भाँग | वादाम रोगन में मकरो के २॥ तोले ति गुने शहत में पाक बनावै ॥ माजून भिलावे की ॥ जो इन्द्री को वल वान करे और स्यने न में तुल्प नही रा घै और वृद्धों को तरुणों का सा वलर्प्रप्त करे या को आडें में काम में लाना उचित है || विधि ।। भिलावे सेर ९ या धेर टुक कर के ९ हाँडी में भर राधे और वा हाँडी में व हुन से छिद्र करदेजो जन छिदों मेसें भिलाबों का शह व निकल सके और हॉडी का मोह चीनी से षाम के एक देगची में राधे और देगची की गडे में धरे मोर हॉडी को मारने कंडों से बंद करके जलावै जव वे कंडा जल जाय । तव और कंडाघर के खचदे याही प्रकार ३ वेर करें फि रशीतल करके देगची को निकाल ले जितनों शहन देगची में इषट्टो भयो होय या से २० गुन गाय को दूध मि ला के पका वैजय चौथाई भाग रहे ३ चौथाईमिला येको शहन। और सुपेद तिली को तेल मिला केप का वैजव बिलकुल एकसा माजूम जेसी होजाय तव नित्पश्चातःकाल के समय भायाकरे मात्रानों। माशे की ॥ माजून ॥ जो इन्ट्री को बलवान करने For Private and Personal Use Only

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