Book Title: Tibba Ratnakar
Author(s): Kanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
Publisher: Kanhaiyalal Munshi

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Page 273
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ૫૦ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सोंठ। कचाव चीनी | नेत्र वाला। मगर । बूजीदों। २ माशे । सुपेद मिश्री हुडपाव लेके बनाले फसल एक सौ छवीसवी ॥ का नवीज' अर्थात नवीज ॥ खुरमा ॥ अर्थात्॥ छुहारें जो वीर्य को पेदा करें और इन्ट्री को बलवान करें औरश रीरको मोटो करे मोर चित्र को प्रसन्न करें और भ स्ती लावै ॥ बिधि ॥ छुहारे सेर ७ | पानीभन ९ में श्री टा वै जव माधो रहे तव। जायफल / लोग। दालचीनी सोंठ। तेज पात। बडी इलायची। दो २ तोले। विजोरे । को छिलका तीन तोले। नारंगी के पन्ना५ तोले। केसर छै माशे । सव कूट के मिला वै योर बनाले || नवीज़ 1] किशमिश जो निर्मल रुधिरनपजा वै मोरेबल को देन्योर चित्र को प्रसन्न करें और मस्ती लावै ॥ विधि || किशमिश सेर ५। छिलीगाजर सेर ३ । पानी सेर २० गांडे को रस सेर १० मिलाके चीटावे अब सधीरहैत व दालचीनी। तेजपात । विजोरे को छिलका। पाँच तोले । अजमायन खुरासानी। लोग। सोंठ। दोर तो।। ले। औ कूट कर के मिलावे मोर तैयार कर ले ॥ न वीज || फवाका जो रुधिर को पाक करें औरवलको वढा वै खोर मन को प्रसन्न करें और मस्ती लावे है " ॥विधि ॥ छुहारे । किशमिश डैहर सेरा भ्यालूबु खारे । उन्नाव | पान २ सेर। बंबूर के पेड के भीतर की छाल। वेर की छालाभ्याम् की छाल। आाधर पाव। वीर पानी सेर २० में प्रोटावे जव साधी बाकी रहेतब For Private and Personal Use Only

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