Book Title: Tibba Ratnakar
Author(s): Kanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
Publisher: Kanhaiyalal Munshi
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२५७
-
-
-
-
-
को गुणदायकहै। विधि जायफलासोंठालों गादालचीनी काली मिची तीनरमाशोछोटी इलायचीकेदाने। केसरदो२भाशे।सुपेद चंदन) ४ माशाचूरनकरके औरगुलावजलकीना मीदेके फिरसूधाकेकामलावैगनफरखो जोअर्धागवातके रोगोंकोगुणादायकोवि. ॥नकछिकनी कालीमिर्ची करकराांसोंठ। पपडीधारानोसादरा एलूनागदाल चीनीमा पदकुटकी दोंनाभरुवास्थिोसववरावरले के चूरन करके नाक में फूकें।अथवा॥सवक चूरन को दोनामरुना केरसमें घोटकेनाकमें टपकावैरानफखाजोमिरगीको दूर करे।धि गइन्द्रायना नोसोदरा कलोंजीनकछिकनीका लीमिची सववरावरलेके चूरन करकेनाकमें कैनफूरवाजोसकूता को गणकरे॥विधि पासवचो कालीमिचीनकछिकनीतितली। सववरावरकेचूरनकरकेनाकमें फूकेनिफ. जोनकसीरको बंद करैहै।विधिकागदकी भस्मासीफ कीभस्मएकरभागा सोनामाषीया धभागालेके चूरन करके नाक फूकाअथवा समाजूफलधजलाधिनियों।लोवानापरसीया वशी। एलयाराफिटकिरी। सववरावरलेके चूरन करके कामलावै॥नफरवाजोकागलटका अानेको गुणकरैहै|विधिशाहरोमाजूफला लावकेफूलागुलनारापोदीना। चारश्माशायक
-
-
-
-
-
-
२
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292