Book Title: Tibba Ratnakar
Author(s): Kanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
Publisher: Kanhaiyalal Munshi

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Page 279
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २६० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir की मिरगी को गुरण करे ॥ विधि।। सातर अर्थात् !! पहाडी पोदीना । वासवच । कालो जीरो । एक २ रत्नी मा के दूध में पीस के टपकावै॥ वजूर ! जो अचे तन्हा को दूर करें ॥ विधि।। कस्तूरी। वर थोडोर गुलावजले में घिस के टपकावै॥ वजूरा। जो चिस चिका में अचेत हो जाय ताकूं तुरत ही दूर करे है । ॥ विधि ॥ दर्शाई नारियल । गुलाव जल में घिस के कंठ में टपकावे ॥ हरफुलयाय || [1] फसल एकसौ इकत्तीस वी ॥ याकूती में प्रघट हो वाजे मनुष्यों के समीप पाकूती। नवीन रचित विधिले परंतु पुरानी पुस्तकों के देख नेसे मालू म होता है, अरस्तू हकीम नें सिकंदर के लीये याकूती बनाई थी निदान इस्का पुराना पन प्रघट है और या कूल सच खानी जवाहरातों से कर्डा होता है और मज व्रत है या कारन कर के उस्को विशेष घिसना उचित जो विशेष घिसने से चकती पकड़ लेती है और वा रहूपहर से कम नघिसे और २८ पहर से अधिक न घिसे और याकूत को दूसरे जवाहरातों सहित केवई को भ र्क चोर गुलाव जल में घोटना उचित है और बाकी 1 -सौरभ वस्तों का प्रथक चूरन करना उचित है। याकू ती ! जो शेरव रईस ने हौल दिली को और वहम की औरसव प्रकार की वात व्याध को गुणा दाता और म स्तक को कलेजा को वल प्राप्त करता लिमी है ॥ विधि |]] याकूत रम्मानी ३ माशे। वीमोती ५ माशे । हज र सरमनी । हजर लाजवर्द शान २ माो । कस्तूरी दो माशे For Private and Personal Use Only

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