Book Title: Tibba Ratnakar
Author(s): Kanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
Publisher: Kanhaiyalal Munshi

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Page 270
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५५९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir में तुल्य नही रखती और रूप को बढ़ा वे और शरीर को मोटा करे और वीर्य को बढा वे है । विधि।।। मुरगी के अंडा की सुपेदी मोर जरदी। गाय को घी प्याज को रस । गाजर की गूढो । शहन। पाँचों बरावर लेके पका वे और पाक बनावे और प्रक्कती के मा फिक ४० दिन तोई बाया करे ॥ माजून ॥ मुचार पाठे की जो इन्ट्री को चल वान करे और सीन के रोगों को दूर करने में यति उन्नम है ॥ विधि ॥ गुच्चारपा ठे को गूदो सेरपाव | गाय को दूध सरे ९ मिला के मो टावे और हाथों से मिल के पका है जो पाक बनजा य ॥ माजून ॥ जो इंद्वी को वलवान करे और अच्छे प्रकार से टूटे करती है । विधि॥ श्रसमंद। जावि त्री। जायफला लांग | दाल चीनी एक २ तोले। काले तिल धुले दो तोले। तिगुने पाहत में पाक बनावै ॥ फसल एकसौ पच्चीसवी ॥ मुफ़रद्वान में अर्थात् चित्र को प्रसन्न करने वाली दवा सों में ॥ मुकर्रह | जो सफाई से पीछे होल दिल्लीको गुण करें | विधि ॥ कावली हेर्ड को काढा १० तोले भामरे १५ ताले में ५ ।। छटाँक शहत मिला के चाश नी करे। विल्ली लोटने । बिजोरे को छिलका। लोग । मस्तंगी। जायफल | तज । इलायची । नाग केसरा वह मन सुभेद् | दरू नजाकर वी। नर कचूर। केसररा ब न तुलसी के वीज । राम तुलसी सात २ मायो। कस्तूरी २ माशे । मिला के वनांवे ॥ मुफर्रह।। जो उस होल दि ली को दूर करे है जो वाघ के अलजाने से पैदा हो और For Private and Personal Use Only

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