Book Title: Tibba Ratnakar
Author(s): Kanhaiyalal Munshi, Bansidhar Munshi
Publisher: Kanhaiyalal Munshi

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Page 266
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 289 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाँच माशे । नोंसादर। समंदरफेना सिलारस तीन २ माशे । सुपेद निसोत । राई । सोंठ सात २ माशे । तिगुने शहत में पाक बनावै ॥ माजून | यही या के बेटा वालर के की बनाई है जोपान की मंगली - मोर जोड़ों की पीड़ा को अति गुणा दायक है। विधि]] नेत्र वाला। मोठा कालो जीरो । पीपर। मीठीशो रनजान। छै तो ले। सनाइ३ तोले। तिगुने शहत मेंपाक बनावै ॥ ॥ फसल -एकसो चौवीसवी ॥ माजूनात | कधी । मुवही। मुगल जमनी । अर्थात। | ताकत देने वाले चित्र प्रसन्न करने वाले और बीर्य को गाड़ी करने वाले पाकों में ।] माजून ॥ भूसुली जो इन्द्री को प्रवल करें खोरे वीर्य को सुधारे यहाँ ताई जो बलहीन को भी गुण करे ॥ विधि॥ सालवभि श्री। दोनों मूसली । सेमर को मूसरा काम राज । सोंठ | डेड 2 तोले। सलजम के बीज। सोया के वीज । गाज र के बीज। प्याज के बीज। मिर्च । पीपरी साठ२ माशे शहत यूरो लालपावर सेर। लेके भाजून बनावै ॥ मात्रानी माशे तथा १ तोले नाई। खोर घटाई नमाम || मांजन | दाल चीनी ॥ ओकामदेव वडा नेमें पर चा ई हुई || विधि। दाल चीनी ९|| तोले। मीठो कूट। सोंठ। सुपेद मिर्च । दोनों गोषरू। तेजपात । नेत्रवाला लोग | मस्तंगी। छोटी इलायची के दाने । भूलों के वी | जा सलजम के बीज । है२ माशे । छिले सुपेद तिल मीठे बादाम की भीगी। पिस्ता चिलगोजा की मीगी। सालवमिम्मी । शका कुलमिश्री। दोनों वहमन ॥ ९९ $ For Private and Personal Use Only

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