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मान्सभोजन
मायुललहम में अर्थात् मान्स के पानी में सेब रईस वाली से नाईने लिया है के यद्यपि है परंतु पानी मस्का दिल की निर्वलता और दूसरे से गों में दवा है और बाजे हकीमों ने कई मान्सों को इषा करनी पसंद नही कीया है या कारण करके जो तुर्तपच आय मोर जो देर में पचेताको दूधट्टा करना उचित नही | परंतु वहुधा कर के पक्षी यों का मान्स वकरी के मान्स में मिलाना की मोने उचित रमाई।। मायुलहम साधु |३) जो दिल को बलवान करे और शरीर को वलवान श्री र मोटा करे और मुनासिव शरवतों के संग विषमज्वर को गुण करें हैं। विधि॥ तरुण और मोटा कूरा कोमान्स चरथी और सुपेदी दूर करके। धनियों। ते जपात | वडी इलायची। दालचीनी की पोटली डाल के मूंहबधी देगची में लोटा वेजव अत्यंत मान्स गल | जाय तवने गौरभवका लगा के मार्कींच ले ॥ मा युलम || मुरक्कव अर्थात् भिम्श्रत मान्स का पसेव ॥ जो दिल और मस्तक और दूसरे उदारा दिक के वं दों को और कामदेव को धवल करें और मल मूत्र को शुद्ध करे और रुधिर को निर्मल करे मोर शरीर को । मोटा करे || विधि॥ तरुण बकरा को उन्नम मान्स सेर नग १० कबूतरों का शुद्ध भान्स | ४० नग वटेरों का मान्स | तरुण भुरंगानगर। तीतर नग ४ | पालतू | चिड़ा तथा जंगली नग५० लेके । दाल चीनी १ छक लोंग २ तोले। इलायची वडी । तेजपात डेडर छटांक प्याज छिला पावसरे मूंह बंधी देशची में प्रोटावे ॥
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