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फसल बारावी ॥ गुमरह अर्थात् नवढने खोर गालीये अर्थात् संघनी । यों में || गुमरह || जो चहरे की क्रांति को बढ़ा दें । त्रि ||| जौ छिले हुए ४ भाग । घर बूजा के बीजा वाकला को चून। चिरोजी दो २ भाग। रात को लगावै । प्रात कालधो डालै ॥ अथबा || जो को चूना चना को चूना मसूर के चून । मेंहदी के पत्ता सूथे । एक २ तोले। कैंसर ९ माशे ले के काम में लावै ॥ यथवा ।। शरीर की ल चा को खुश रं ग करें -खोर नरम और सुगंधित करै॥ विधि ॥ दोनों चंदन। अगर । नगर। है२ माशे । केसर ३ मासे। चिरोंजी ४ तोले। मेदा गेहूं की न्यायाव । चमेली की तेल दो तोले मिला के पानी में पीस के लगावै ॥ श्रथवा ॥ मेंहदी के पता हरे तथा सूघे १ छटाँक पानी में पीस के रक्त चंदन ३. चिरौंजी गेहूं की मेंदा साधपाव । वेला को तेल २ तोले मिला के लगा वै ॥ गालीया ॥ जो दिल और मस्तक की ताकत को बढावे और बावले पन को दूर करें। वि|| संवर अशहब २ माशे। अगर माशे । सुपेद- चंदन १ तोले । कस्तूरी १ माशे। चूरन कर के गुलाब जल में मिला। के संघे तथा शरीर में लगावै ॥ श्रथवा ।। सुपेद चंदना नों भाशे । नागर मोथा । वाल छडा ३२ माशे के बडे सर्क | मेंपीस के गुलाब को खतर मिला के संघे अथवा ॥ म् बोधनियों। गुलाब के फूल | सुपेद चंदन को चूरो। एक २ तोले । चूरन करके गुलाव जल में सान के बस के अतर तथा केवडे के भ्तर में मिला के सूंधे ॥ हरफुलफाय ||फसल तिराणवी
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