________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
૭
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
दिल को भी पराक्रमदेता है औौरसांस कानी बढ़ाता है। मोररुधिरथूकने कोदूर करता है । और पेसाव को दे |हानै खोर गुरदे तथा मसाने की पथरी को दूर करेहे-यो रप सूख के विसकाजर मोहरा है और जो वाको सुर्मा लगावैतो नेत्रों की जोत वढे परंतु निघुन सक्ताप्राप्त क रहे या की लागसहत है ॥ अथ जाफरान ॥ अर्था तकेसर प्रथम दरजा में खुश्क और तीसरेद्रजा मेंगर महै जो हवासप्रसन्न और बलवान करें दिल प्रसन्न राधे खोरे जिगर तथा मस्तक की ताकत वढावे श्रो ररंग पुठो मजबूत करें और वाम को दूरकरे मलकी शुद्ध करे और नसों की गाँठ को घोलती है | और मू त्रको जारी करनी है औरगुरदा तथा मसाने कोर्षक क रै - और ताकत को वढावै ॥ श्रोरनिद्रा लावे मस्त
मेंपीडा पेदा करें उस की लाग सहत और वूरो । ॥अथ जीत॥ अर्थात जेतून को तेल आली नस हकीम या को दूसरे दरजा में गरम और नरव तानाहैं और जनाव का को लहै के जेतून कोषाओं और लगा
क्यों के वह वरकत का पेड है औौरथा के बहुत सेभेट्हें या केफलको मेवा के तुल्पघाते हैं चोरतेल को इकेला तथा दूसरी मुनासिव वस्तु के संग घाते हें सौ रलगाते हें औरषाये हुये विस को तथा पसूओं के विस को और सरदी की पीड़ा को खोर वादी तथा भडोडा को दूर करना है पर घावों को भर लाता है ओोरलकवाल था कंपन वाय सौरपक्षाघान को गुरणदाय कहै और नेत्रों की जोत वढाता है और नेत्रों की सुपेदी और बाज
For Private and Personal Use Only