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दिल हैं मौरजनाव काकोल है के ओ गुलाव सूँघो तो स्ना स्लरंगका सूंघा जो विल कुलखिलेको तोड़े तो सच्छा है सौर गुलाव केई प्रकार का होता है बाजे फसली सी रवाजे सदा गुलाव की प्रक्रती चौरगुरण मेंठीक २ फर्कमा लूमनही पडता यद्यपि वाजोंनें लिखा है के मन को प्र सून वलवान करने वाला सौर पित्त तथा पतलेकफ के मांदिल मोरेदस्तके द्वारा निकालने वाला और दुबलेप नतथानलटी खौरनुदर और जिगर की सौरमुरदे की नि वलनाको गुणदायक है और मस्तक तथा कामदेवको नुक सान करैहै और नजलापेदा करें । अथ हिंद वाया । अर्थात् फारसी में कासनी दूसरे दरजा में सर्द औरतर हैज नावका को लहे के गाँठों को बोले जिगर को ताकतदैरु धिर की गरमी कोशांत करे और पिन को शांत करै चोर मूत्रजारी होना और गुरदा की सफाई करे और घाँसीकोसी गुण करैयाकी लागघूरो है ॥ अथ याकूत ॥ पहले दस्ता में गरम और पुश्क है और शेखरईस याको मादिलवता वे है और अनावका कोलहे के जो मनुष्यपीले या कूत की अंगूठी पहने तोषा की काष में फोडान होयसर्थात् कमरा इन होगी और हकीम याकूतरम्मानी को खाना उत्तम सम झतेहैं दिल मस्तक और सांस को अत्यंत वलदायक है। और चित्रको प्रसन्नराये और विसों का जहर मोहरा है || फसल दूसरी ॥ कार्मिक वार्तासों में खरबूजाकी यह पकती है कै जावस्तुको उदर मेपाता है वादी की तरहपचता है जो उट्र में बिजूर। के संग प्राप्त होतीजरूर अच्छा रुधिर पेदा करेगा और स्व
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करनवाला