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है। औरफिल फिलेनपयोजन | पीपल मिर्च से है । और संदलेन प्रयोजन सुपेद चंदन और रक्त चंदन से हैके यहवत्येक लिखी तोलके तु रूपहो। गुर॥ जा क्रियामें सहत है तो वहाँ भागलीयेह मे सहत्त से प्रय जन है इस क्रिया से सहतको प्रथम अग्निपर धरै जववासे भागनठे तव कपडा में छान ले सरगर मागरम मैदवाई मिलावे और क्रिया में दूरा और सहा तदोनों हों तो सहत वूरामिलाके थोडासापानीडाल । के आँच पर धरैजव वराघुल जाय तव और सहत मंझा गउठें तवकपडा में छानके चाशनी कर के श्रीषघीमि लवि॥गुरणगाजाकाथ सरयू की क्रिया में सकासवे लके वीज और तथा अमर खेल हो जन को कपडाकीपो टली में बांध के काडा तथा यूशकरके विनागलने के नि खोडले || गुण हमूवजन। मुसा थी थुल बजनप्रयोजन सवदवा वरावरही और दुर्बदासवसुं दूनी से प्रयोजन। है और इसी प्रकार से चंदा आदि है॥ सुरण ॥ खीरजीरेम दद्दर की यह क्रिया है के काले जीरको सिरका में भिओ वैऔर फिर निकाल के सुषा वै याभांन तीन वेर करें || गुरगा और वूदादह की यह क्रिया है के को वड़े क इच्छामें घर के आंच पर धरै अवभुने की सुगंध नानेल गे और रंगषट्क्षजायतवप्रथक कर ले।हुए।॥ तस कीया अर्थात पुट यह है के सूर्याद्वा को औ कुट करके किसी वस्तु के रस में मिजोके सुषा वै या प्रकार तीनवेर। किये विमा पूरापुट नही होता है ॥ गुए। शीर पिसर सेय प्रयोजन है के इस्त्रीनेट की माही ओर उसे दुग्धपान
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