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जीव शक्तिशाली दूरवीक्षण यन्त्र से देख है। ये सभी जीव त्रस कायिक है, जल तो सिर्फ उनका आश्रयस्थल है। वहीं भगवान महावीर स्वामी ने अपने केवलज्ञान रूपी दूरबीन से पानी की एक बूंद में असंख्य जीव देखे है। उस एक बूंद के पानी के जीवों का शरीर सरसों के दाने के समान किया जाय तो जम्बूद्वीप में नहीं समा सकते।
अग्नि
फूल
नरकाय
کرمی
विश्तु
अर्गन
4. वायुकाय : जिस स्थावर जीवों का शरीर ही वायु (हवा) है, वे वायुकाय जीव हैं। इन जीवों के उदाहरण है उद्भ्रामक अर्थात् ऊँची घूमती वायु उत्कालिक वायु अर्थात् नीचे भूमि को स्पर्श करती हुई वायु, गोलाकार घूमती हवा, आँधी, महावात आदि। नीम के पत्ते के छूने वाली हवा में इतने जीव है कि उन सभी जीवों के शरीर को खस-खस के दाने के समान बनाया जाय तो वे जम्बूद्वीप में नहीं समा सकते।
फल
3. ते काय : जिन स्थावर जीवों का शरीर अग्नि है वे तेउकाय जीव है। जैसे अंगार, बिजली भट्टी आदि। एक नन्हीं सी चिनगारी के जीवों को लीख के समान बनाया जाय तो जम्बूद्वीप में नहीं समाते ।
5. वनस्पतिकाय: जिन स्थावर जीवों का शरीर ही वनस्पति है, वे वनस्पति जीव कहलाते है। वनस्पतिकाय के 2 भेद हैं - प्रत्येक और साधारण ।
प्रत्येक वनस्पति के 2 भेट
एक
a) प्रत्येक वनस्पतिकाय: जिनके शरीर में एक जीव हो वे प्रत्येक वनस्पतिकाय कहलाते हैं। फल, फूल, छाल, मूल, पत्ते बीज आदि । भिंडी, आम, सेब, आदि में जितने बीज है उतने जीव ।
b) साधारण वनस्पतिकाय: जिनके एक शरीर में अनंत जीव हो वे साधारण वनस्पतिकाय कहलाते है। भूमि के भीतर पैदा होनेवाले सर्व प्रकार के कंद, बीज से निकलते हुए अंकुर, पांच रंग की नील फूल, काई जो जल के उपर छाई रहती है, भूमि विस्फोट सफेद रंग की छत्राकार वनस्पति, अदरक, गाजर, छोटी मोगरी, पालक की भाजी आदि ।
चानुकाय
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कांदा
बटाटा
साधारण वनस्पति के 4 भेद
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