Book Title: Tattvartha Sutra Part 01
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 122
________________ नव ग्रैवेयक देवलोक के नाम 1. सुदर्शन 2. सुप्रतिबद्ध 3. मनोरम 4. सर्वतोभद्र 5. सुविशाल 6. सुमनस 7. सौमनस 8. प्रियंकर 9. नंदिकर अनुत्तरविमान वासी देवलोक के नाम चार अनुत्तर (विजय, वैजयन्त, जयन्त,अपराजित) सर्वार्थसिद्ध जघन्य आयु 22 सागरोपम 23 सागरोपम 24 सागरोपम 25 सागरोपम 26 सागरोपम 27 सागरोपम 28 सागरोपम 29 सागरोपम 30 सागरोपम जघन्य आयु 31 सागरोपम 33 सागरोपम एक समान स्थित है अन्तर नहीं है। उत्कृष्ट आयु 23 सागरोपम 24 सागरोपम 25 सागरोपम 26 सागरोपम 27 सागरोपम 28 सागरोपम 29 सागरोपम 30 सागरोपम 31 सागरोपम उत्कृष्ट आयु 32 सागरोपम 102 33 सागरोपम नारकों, भवनपति एवं व्यंतर देवों की जघन्य स्थिति नारकाणां च द्वितीयादिषु ||43 || सूत्रार्थ : दूसरी से सातवीं नरक तक पहले-पहले के नारक की उत्कृष्ट आयु बाद-बाद के नरक की जघन्य आयु होती है।

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