Book Title: Tattvartha Sutra Part 01
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 145
________________ 10. उद्योत : शीत पदार्थ के शीत प्रकाश को उद्योत कहते है। चंद्र, ग्रह, नक्षत्र आदि पदार्थ तथा जुगनु आदि के शीतल प्रकाश को उद्योत कहते आतप उद्योत स्वयं ठंडा और प्रभा गरम स्वयं ठंडा और प्रभा भी ठंडी सूर्य का विमान, सूर्यकान्तादि रत्न चंद्र, ग्रह, जुगनु आदि अणवः स्कन्धाश्च ||25|| सूत्रार्थ : पुद्गल के दो भेद हैं - परमाणु और स्कन्ध। विवेचन : पुद्गल के प्रमुख दो भेद हैं - अणु और स्कन्ध! पुद्गल द्रव्य का वह छोटे से छोटा सूक्ष्मतम अंश जिसका फिर विभाग न हो सके, जो इन्द्रिय ग्राह्य नहीं है, जो नित्य है। तथा किसी एक रस, एक गंध, एक वर्ण और दो स्पर्श से युक्त होता है । उसे परमाणु कहते हैं। स्कन्ध दो या दो से अधिक संख्यात, असंख्यात, अनंत परमाणु के पिण्ड को स्कन्ध कहते हैं। पुद्गल के भेद परमाणु स्कन्ध पुद्गल का अविभाव्य सूक्ष्मतम अंश (दो या दो से अधिक परमाणुओं का समूह) स्कन्ध और अणु की उत्पत्ति के कारण संघात-भेदेभ्य उत्पद्यन्ते ||26।। सूत्रार्थ : संघात (जुडने), भेद (पृथक-पृथक) और संघात भेद (जुडने और पृथक होने) - इन तीनों में से किसी भी एक कारण से स्कन्ध की उत्पत्ति होती हैं। भेदादणुः ।।27।। सूत्रार्थ : स्कन्धों का भेद होने पर अणु की उत्पत्ति होती है। 1 MADANILAOD CADAI 125 NormersonarimateNBSC Online L AL C0A000 ja Nelibrary WAAVAJanamalaitternation

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