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6. भेद : भेद का अर्थ विश्लेषण अथवा प्रथक्करण है। जब कुछ परमाणु अपने स्कन्धों से
टूटकर अलग होते हैं तो उन्हें भेद कहते हैं। यह पांच प्रकार का हैं
a. उत्कर, b. चूर्ण, C. खंड, d. प्रतर, और e. अनुचटन
a. उत्कर : आरी से लकडी के चीरने को उत्कर कहा गया है।
b. चूर्ण : गेहूं आदि का आटे के रूप में परिवर्तित होना चूर्ण है।
c. खण्डं : धडे आदि का टुकड़े-टुकड़े होकर
टूट जाना खंड है। d. प्रतर : बादल के अलग अलग पटल का होना प्रतर है।
e. अनुचटन : गरम लोहे पर चोट करने से जो चिनगारी अलग होकर निकलती है, उसे अनुचटण कहते हैं। या आम, संतारा आदि फल को छीलकर उसके फल तथा छिलके को अलग अलग कर देना।
7. तम : तम अर्थात् अन्धकार। जो देखने में बाधक हो और प्रकाश का विरोधी हो वह अन्धकार है।
8. छाया : प्रकाश पर आवरण पड़ जाने पर छाया उत्पन्न होती है। इसके दो प्रकार है - अ. तद्वर्णपरिणत और आ.
प्रतिबिंब a) दर्पण आदि स्वच्छ पदार्थों में पड़नेवाला बिम्ब जिसमें मुखादि का वर्ण आकार आदि ज्यों का त्यों दिखाई देता है।
b) प्रतिबिंब : अन्य अस्वच्छ वस्तुओं पर पडनेवाली परछाई प्रतिबिंब रूप छाया है।
छाया
(प्रकाश को ढकले वाली) तद्वर्ण परिणत
प्रतिबिंब (दर्पण में)
(परछाई)
छाया
9. आतप : शीत वस्तु का उष्ण प्रकाश आतप कहलाता है। यह स्वयं ठंडा होता है और उसकी प्रभा गरम होती है। जैसे सूर्य का विमान, सूर्य कान्तादि रत्न।
आतप