________________ 25000 हेवीतराग! मेरे स्वरूप को समझे बिना अनंतकाल भटका। मेरी ही गलत जानकारी, मेरे स्वरूप के विषय में ही भ्रान्ति रखकर बहुत अस्तव्यस्त हो गया हूँ। अब तो मैं मुझे ही पहचान लूँ। मेरी जानकारी में तेरी जानकारी आ ही जाएगी। क्योंकि मैं और तू एक ही है। बस मेरा स्वरूप मुझे बता दो / Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org