Book Title: Tattvartha Sutra Part 01
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

View full book text
Previous | Next

Page 140
________________ __ जो अक्षर रूप में बोले एवं लिखें जाते हैं, वे अक्षरात्मक शब्द है। मनुष्य व्यवहार में आनेवाली अनेक प्रकार की बोलियाँ। और जो अक्षर रूप में नहीं होते है वे अनक्षरात्मक शब्द है। जैसे पशु पक्षियों की भाषा, मनुष्य के संकेत वचन आदि। 2. अभाषात्मक शब्द : जो शब्द भाषा के रूप में अभिव्यक्त न होते है अर्थात् वाद्य यंत्रों से जो ध्वनि उत्पन्न होती है, वे अभाषात्मक कहलाते हैं। इसके चार भेद हैं - a) तत् : चमडे से बने तबला, ढोलक, मृदंग आदि से उत्पन्न होने वाले शब्द को तत् कहते हैं। ततशब्द b) वितत : तार वाले वाद्य वीणा, सितार आदि से पैदा होने वाला शब्द वितत हैं। विततशब्द घन शब्द c) घन : घण्टा, ताल आदि ठोस द्रव्यों से उत्पन्न ध्वनि का धन कहते हैं। शुषिर शब्द d) शुषिर : फूंककर बजाये जाने वाले शंख, बांसुरी आदि से पैदा होने वाले शब्द को शुषिर कहते हैं। Rao PHOTOCADSHEDDINDE MELADwaaDEOS

Loading...

Page Navigation
1 ... 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162