Book Title: Tattvartha Sutra Part 01
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 141
________________ शब्द (ध्वनि) स्वाभाविक (अप्रयत्न जन्य) बादलों की गर्जन प्रायोगिक (प्रयत्न जन्य) भाषात्मक (भाषा रूप में अभिव्यक्त) (आध्यापक कक्षा में पढ़ा रहा है) अभाषात्मक (भाषा रूप में अभिव्यक्त नहीं) (वाद्य यंत्रों से जो ध्वनि) अक्षरात्मक (अक्षर रूप) मनुष्य व्यवहार में आनेवाली बोलियाँ अनक्षरात्मक (अक्षर रूप नहीं) (पशु पक्षी की भाषा, या संकेत, खांसी आदि) वितत धन तत् चमडे में बने ढोलक, तार वोल वीणा तबला आदि सीतार आदि घंटा, ताल आदि ठोस पदार्थ शंख, बाँसुरी आदि फूंककर एक अन्य अपेक्षा से शब्द के तीन भेद किये गये है जो इस प्रकार है - शब्द सचित्त शब्द (जीव के मुख से निकले) अचित्त शब्द (पाषाणादि दो पदार्थों के परस्पर टकराने से) मिश्र शब्द जीव के प्रयास से बजने वाली वीणा, बासुरी आदि की आवाज 2. बन्ध : पुद्गलों के पारस्परिक सम्बन्ध को बंध कहते हैं। यह बन्ध दो प्रकार का हैं- a. वैससिक - स्वभाव-जन्य और b. प्रयोगिक - प्रयोग जन्य बन्ध। a) वैससिक बन्ध : यह बन्ध सहज होता है। इसके लिए जीव के किसी प्रकार के प्रयत्न की 845528-455 ai Scheatiu internal GABAD 15212107232 ROersona serate aerons V •ommejalftehitraryadigan

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