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9. संवृतविवृत : योनि का कुछ भाग ढका हुआ और कुछ भाग खुला हुआ हो। ऐसे स्थान में उत्पन्न होनेवाले जीवों की संवृतविवृत योनि
हाथी
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गर्भज जन्म जराय्वण्ड-पोतजानां गर्भः ।।34||
सूत्रार्थ : जरायुज, अण्डज और पोतज जीवों का गर्भ में जन्म होता है। विवेचन : प्रस्तुत सूत्र में गर्भज जीवों के भेद बताये हैं।
a. जरायुज : जो जीव जाल (झिल्ली) के समान रक्त और मांस से भरी एक प्रकार की थैली से लिपटे हुए पैदा होते हैं, उन्हें जरायुज कहते हैं। जैसे मनुष्य, गाय, भैंस आदि जीव।
b. अण्डज : जो जीव अण्डे से पैदा होते हैं, वे अण्डज कहलाते हैं। जैसे मुर्गी, सांप, चिड़िया आदि।
____C. पोतज : जो जीव किसी भी प्रकार के आवरण में लिपटे बिना। पैदा होते है उन्हें पोतज कहते हैं। जैसे हाथी, नेवला, चूहा आदि। ये जीव माता के गर्भ से निकलते ही चलने फिरने लगते हैं।
उपपात जन्म नारकदेवाना-मुपपातः ।।35।।
सूत्रार्थ : नारकियों और देवों का उपपात जन्म होता है। इसका विवेचन सूत्र 32 में किया गया है।
सम्मान जन्म शेषाणां सम्मूर्च्छनम् ||36||
सूत्रार्थ : शेष जीवों का सम्मूर्च्छन जन्म होता है।
विवेचन : गर्भज और उपपात जन्म वालों के अतिरिक्त सभी संसारी जीव सम्मूर्छम होते हैं। एकेन्द्रिय से लेकर चउरिन्द्रिय तक तथा कुछ तिर्यंच पंचेन्द्रिय और मनुष्य भी सम्मूर्छिम होते हैं।