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इन्द्रियों के भेद व विषय स्पर्शन-रसन-घ्राण-चक्षुः-श्रोत्राणि ||20।।
सूत्रार्थ : स्पर्शन, रसन, घ्राण, चक्षु और श्रोत्र ये पांच इन्द्रियाँ हैं । स्पर्श-रस-गन्ध-वर्ण-शब्दास्तेषाम् अर्थाः ||21||
सूत्रार्थ : स्पर्श, रस, गंध, वर्ण और शब्द - ये क्रमश: इन विषयों को ग्रहण करती हैं। विवेचन : प्रस्तुत दो सूत्रों में पांच इन्द्रियों के नाम तथा उनके विषय बताये गये हैं। इन्द्रिय के नाम और उनके विषय
1. स्पर्शनेन्द्रिय : जिससे स्पर्श का ज्ञान होता है, वह स्पर्शनेन्द्रिय अर्थात् त्वचा है।
2. रसनेन्द्रिय : जिस इन्द्रिय से रस का ज्ञान होता है, वह रसनेन्द्रिय अर्थात् जीभ है।
3. घ्राणेन्द्रिय : जिस इन्द्रिय से गंध का ज्ञान होता है, वह घ्राणेन्द्रिय अर्थात् नाक है।
4. चक्षुरीन्द्रिय : जिस इन्द्रिय से रूप का ज्ञान होता है वह चक्षुरीन्द्रिय अर्थात् आँख है। 5. श्रोत्रेन्द्रिय : जिस इन्द्रिय से शब्द का ज्ञान होता है वह श्रोतेन्द्रिय अर्थात् कान है।
यद्यपि सूत्र में पांच इन्द्रियों के पांच ही विषय बताये हैं, किन्तु विस्तार की अपेक्षा इन पांच इन्द्रियों के 23 विषय होते हैं। वह इस प्रकार है -
स्पर्शन के 8 विषय : शीत, उष्ण, रूखा, चिकना, कठोर, कोमल, हल्का और भारी।
रस के 5 विषय : तीखा, कडवा, कसैला, खट्टा और मीठा। घ्राण के 2 विषय : सुगन्ध और दुर्गन्ध। चक्षु के 5 विषय : श्वेत, लाल, पीला, नीला (हरा) और काला __ श्रोत के 3 विषय : जीव शब्द, अजीव शब्द और मिश्र शब्द। । इस प्रकार, यह पांचों इन्द्रियाँ अपनेअपने ही विषय को ग्रहण करती हैं।
स्पर्शनावराट विषय
प्राणेन्द्रिय के दो विषय
रमनेन्द्रिय के पाँच विषय
ओपेन्द्रिय के तीन विषय
पोrep
अरिद्धिय के पांच विषय
बरनालासर