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३ प्रतिपत्तौ तिर्यगधि० उद्देशः१ सू० ९६
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से किं तं यादरपुढविकाइय०१, २ दुविहा पण्णसा, संजहा-पज्जत्सवादरपु० अपजसयादरपु०, से तं वायरपुढविकाइयएगिदिय० । से तं पुढवीकाइयएगिदिया । से किं तं आउकाइयएगिदिय०१, २ दुविहा पण्णसा, एवं जहेव पुढविकाइयाणं तहेव, वाउकायभेदो एवं जाव वणस्सतिकाइया से तं वणस्सइकाएगिदियतिरिक्खासे किं तं येइंदियतिरिक्ख०?, २ दुविधा पण्णत्ता, तंजहा-पज्जत्तकवेइंदियति० अपज्जत्तयेइंदियति०, से तं वेइंदियतिरि० एवं जाव चरिंदिया। से किं तं पंचेंदियतिरिक्खजोणिया?, २ तिविहा पण्णत्ता, तंजहा-जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया थलयरपंचेंदियतिरिक्खजो० खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया।से किं तं जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिया?, २ दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-समुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य ग
भवतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य ।से किं तं समुच्छिमजलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिता?, २ दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-पज्जत्तगसमुच्छिम० अपज्जत्तगसंमुच्छिम० जलयरा, से तं समुच्छिमा पंचिंदियतिरिक्ख० से किं तं गम्भवतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया?, २ दुविधा पण्णत्ता, तंजहा-पजत्तगगम्भवतिय० अपज्जत्तगभ० से तं गम्भवतियजलयर०, से तं जलयरपंचेंदियतिरि० । से किं तं थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिता?, २ दुविधा पण्णत्ता, तंजहा-चउप्पयथलयरपंचेंदिय० परिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिता।
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