Book Title: Tapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Author(s): Jayantilal Chottalal Shah
Publisher: Jayantilal Chottalal Shah

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ Jain Education International 55555555555555555555555555555555555555555555555555 ७३ न्यायाम्भोनिधि आ. श्री विजयानंदसूरीश्वरजी (आत्मारामजी ) महाराज (अनुसंधान पार्नु १०) ७४ लक्ष्मी विजयजी चारित्रविजय जयविजयजी अमरविजय उद्योतविजय उ. श्री वीर विजयजी पं. कस्तुरविजय . प्र.श्री कान्ति विजयजी भमीविनय ज्ञानविजय गुणविजय चतुरविजय देवविजय कुन्दनविजय कर्परविजय चतुरविजयजी भचि.विजय पं. क्षमा विजय गुण भक्ति विजय विजय भाव विजय जसविंजय । लाभविजय ...विजय For Private & Personal Use Only जसर्विजय पुण्यविजव दुर्लभविजय मेघविजय दर्शनविजय मणिविजय मा. श्रीविजय .५ दानसूरीश्वरजी हेतविजय ... विजय नयविजय मुगुणविजय " चंपकविनय पद्मविजय (जुओ पान १८) ( जुष्यो पार्नु १६) . www.jainelibrary.org मध55555555555555555555555555 फ

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142