Book Title: Tapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Author(s): Jayantilal Chottalal Shah
Publisher: Jayantilal Chottalal Shah

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Page 128
________________ श्रमण वंशवृक्ष आवा जे जे प्रभावक आचार्य महाराजो थया छे तेमां श्री हेमचन्द्राचार्यजी महाराज अग्रस्थाने ले. जैनशासन-रक्षक तरीके तेओश्रीए जे अद्भुत ज्ञान-पराक्रमो कर्या छे ते अवर्णनीय छे. आ महात्माने महान शासन प्रभावक, शासन संरक्षक, धुरन्धर दर्शनशास्त्री, धूरीण साहित्यवित् , प्रकांड नैयायिक, शास्त्रपारेगामी के महान् वैयाकरणी के कोई पण प्रकारना मुख्यमां मुख्य अने समर्थमां समर्थ पंडितोमां अग्रपदे मूकी शकाय तेम छे. आ महान् प्रतिभाशाली आचार्यदेवनो जन्म वि. सं० ११४५मां कार्तिक शुदि पूर्णिमाने दिवसे धंधुकामां, पिता चाचींग अने माता पाहिनीने त्यां थयो हतो, अने तेमनु नाम चांगदेव हतुं. तेमणे पांच वर्षनी उम्भरे एटले के वि. सं. ११५०मां खंभातमां दीक्षा लीधी. कोई पुर्वजन्मनो अपूर्व संस्कार कहो के तेमनी अद्वितीय स्मरणशक्ति-----धारणाशक्ति कहो तेना प्रतापे टुंक समयमा ज जैन अने जैनेतर शास्त्रोनु गम्भीर ज्ञान तेमणे प्राप्त करी लोधुं. उत्कट आत्मसंयम, असाधारण इन्द्रिय-दमन अने महान् वैराग्यवृत्तिथी तेमणे आजीवन नैष्टिक ब्रह्मचर्यत्रतर्नु पालन कर्यु छे. दीक्षा लीधी त्यारे तेमनुं नाम सोमचन्द्र हतुं परन्तु तेमनी अद्भुत शक्ति जोई तेमनी आचार्य पदवी वखते तेमनु नाम श्री हेमचन्द्रसूरि राखवामां आयु. तेओश्री गूजरातना प्रतापी राजवी सिद्धराज जयसिंहनी सभाना तेजस्वी रत्न हता. तेमणे राजाने जैनधर्मना सिद्धांतो समजावो जैनधर्म उपर अनुरागी बनाव्यो हतो. सिद्धराजनी प्रेरणा अने प्रार्थनाथी आ उद्भट विद्वाने सिद्धहेमव्याकरण बनायुं. राजाए हाथीनी अंबाडी उपर नगरमा फेरवी ते ग्रन्धरत्नने राजभंडारमा पधराव्यो हतो. आ सिवाय त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, वगेरे अनेक अदभुत जुदा जुदा विषयोना ग्रन्थो रच्या छे. तेमणे पोतानी जिन्दगीमां साडात्रण क्रोड श्लोकनी रचना करी छे. तेमनी अपरिमित ज्ञानशक्तिना प्रतापे ज सिदशजनी सभामा तेमने "कलिकालसर्वज्ञ"र्नु बिरुद मन्यु हतुं. सिद्धराजनी पछी गादीए आवनार महाराज कुमारपालने प्रतिबोधी परम आर्हतोपासक बनावनार आ ज आचार्य महाराज हता. तेमणे कुमारपालने जैन बनावी गूजरात अने गूजरातनी बहार अमारी पटह वगडाव्यो, नाना मेाटा अनेक राजाओने जिनवाणीना रसिया बनाव्या अने अनेक ब्राह्मणोने जैन बनाया. भगवान् महावीरना शासनमां श्री हेमचंद्राचार्य अद्भुत अने असाधारण महापुरुष थया छे. सम्राट् संप्रति अने विक्रम पछी कुमारपालनुं नाम जैन राजाओमां मुख्य गणाय छे. श्री हेमचन्द्राचार्यनी अद्भुत ज्ञानशक्ति अने असाधारण प्रतिभा जोईने पाश्चात्य विद्वान डो. पीटर्सने तेमने ज्ञानला सागर (Ocean of Knowledge) कह्या छे. कूमारपाले श्री हेमचन्द्रसूरिजीना उपदेश यी १४४४ जिन-मंदिर बंधाव्यां, अनेक ज्ञानमंदिरो कराव्यां, पौषवशाळाओ कराधी अने श्रावको पण खूब वधार्या. उदायन मन्त्री, आम्रभट, बाहड आदि सूरिजीना अनन्य भक्तो हता. यदि हेम बन्दचार्यजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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