Book Title: Tapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Author(s): Jayantilal Chottalal Shah
Publisher: Jayantilal Chottalal Shah

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Page 141
________________ नाम प्रथमथी १० थी वधु कोपीना ग्राहक थनारनी यादी नकल नाम नकल २५ पंन्यास श्री रंगविमलजी १० शाह गीरधरलाल हरजीवनदास वडवाण शहेर १. आचार्य श्री विजयमोहनसूरीश्वरजी १. नवलचंदजी सुपरचंदजी पाली (मारवाड) १. उपाध्याय श्री धर्मविजयजी १० पदमचंदजी संपतलालजी फलोधी १० मुनिराज श्री माणेकविजयजी १० मुनिराज श्री ज्ञानसुंदरजी पाली ( मारवाड) १. आचार्य श्री क्षान्तिसूरिजी १५१ एक गृहस्थ सुरत १० मुनिराज श्री प्रवीणविजयजी १०१ एक व्हेन मुंबई १० मुनिराज श्री मनहरविजयजी ५१ एक साध्वीजी महाराज १. आचार्य श्री विजयलाभसूरिजी २०६ चार संस्थाओ, अमदावाद १. मुनिराज श्री वीरविजयजी १८१ परचुरण ग्राहको लीटी शुद्ध महत्त्वनी शुदिओ (वंश-वृक्ष विभाग) कानीशाखा, अशुद्ध शुद्ध मणिविजय (दादा) पद्मविजयजीनी शाखामां आवता नामो आगळना आंकडाओमां एक एक नंबर वधारी वांचवो नेमविजय चन्द्रविजय चंदनविजय (विवेचन विभाग) अशुद्ध आगमोरच्या आगमो उपर नियुक्ति रची, उमास्वामिवाचक उमास्वातिवाचक न्यायावतार तर्क प्रकरणनी न्यायावतार सन्मति प्रकरण तर्क प्रकरणनी हीरविजयसूरि अने हीरविजयसूरि, उ. धर्मसागरजी, उ. मेध विजयजी अने सदीना सहस्त्राब्दी वी० मि० वी. नि० ४५७मां ४५३भां दवेन्द्रनी देवेन्द्रनी लानना लग्नना तेरापंथी-साधु ११५, तेरापंथी साधु १४१, (साध्वी ४७५) ए संवत् ए तीर्थ संवत् गुजनातना गुजरातना विन्सेन्ट तथा विन्सेन्ट तेजो तेओ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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