Book Title: Tapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Author(s): Jayantilal Chottalal Shah
Publisher: Jayantilal Chottalal Shah

View full book text
Previous | Next

Page 129
________________ श्री तपगच्छ महाराज न थया होत आजे जैनी, जैनधर्म अने जैनसंस्कृति कई परिस्थितिमां होत तो कल्पवं ज मुस्केल छे. तेमना समयमा भारतमां जैनोनी' संख्या चार करोड उपरांत हती. आनंदशंकर वाभाई ध्रुव कहे छे के “ ई. सं. १०८९थी मांडीने ११७३ सुधीनो समय कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचंद्रसूरिजीना तेजथी देदीयमान रह्यो हतो. " आ आचार्य महाराज वि. सं. १२२९मां स्वर्गे पधार्या. (विशेष चरित्र जाणवाइन्छनारे कुमारपालप्रबंध, प्रभावकचरित्र वगेरे ग्रंथो जोवा. ) गूजरातने अहिंसाधर्मनुं उपासक बनावनार, अने तेनी छाप गूजरात बहारना प्रांतोमां पाडनार आ ज आचार्य महाराज हता. महाराजा कुमारपालने जैनधर्मी बनावी जैनधर्म उपर ज नहि परंतु समस्त भारत उपर आचार्य महाराजे महान् उपकार कर्यो छे. ५६ हेमचंद्राचार्य एक युगप्रवर्तक पुरुष हता तेथी ते युग हैमयुग कहेवाय छे. तेमना युगमां वादी देवसूरि, त्नप्रभसूरि, रामचंद्रसूरि, गुणचंद्रसूरि, महेन्द्रसूरि वर्द्धगानसूरि आदि प्रभाविक आचार्यो थया है. रामचंद्रसूरि तेणे पण गुरुनी माफक अनेक ग्रंथो बनाया छे. प्रबंधचिन्तामणिकार रामचंद्रसूरिजीने प्रबंधशतकर्ता तरीके संबोधे छे. सिद्धराजे तेमने "कविकटारमल "नुं बिरुद आप्युं हतुं तेमणे तत्वज्ञान, साहित्य, नाटक, अलंकार आदि विषय उपर सुंदर ग्रंथो बनाया छे. कक्कसूर तेओ उपकेश गच्छना देवगुप्तसूरिना शिष्य हता. सिद्धराज अने कुमारपाल तेमने माननी दृष्टिथी जोना. तेमणे कुमारपालनी सभामा चैत्यवासिओने हराच्या हता. जिनदत्तवरी तेणे हजारो राजपुत प्रतिबोधी जैन बनाया ह्ता. तेमनी १२११मां अजमेरमा स्वर्गवास थयो. अभयदेवसूर ते रुद्रपालीयगच्छना आचार्य हता. तेमणे काशीनरेशने प्रतिबोधी जैनधर्मनो अनुरागी बना यो हतो. काशीमां आ जैनाचार्यजीए एक विज्ञान वादीने जीत्यो हतो तेथी राजाए तेमने " वादिसिंह "नुं बिरुद आप्युं हतुं. जयंतविजय महाकाव्यना रचयिता आ महान् आचार्यं तेरमी शताब्दिमां थया. १. जो के चालीस करोड जैनोनी संख्या हती एम कहेवाय छे, पण हमणां एक विद्वाने जाहेर कर्यु छे के तेम एक मींड वधी गयुं छे, एटले चार करोड ठीक छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142