Book Title: Tapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Author(s): Jayantilal Chottalal Shah
Publisher: Jayantilal Chottalal Shah

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Page 31
________________ Jain Education International 555555555555555555555555555555555555 ७४ सूरिसम्राट आचार्य श्रीविजयनेमिसूरीश्वरजी महाराज (अनुसंधान पार्नु १०-१२) ] [2 आ.श्री उ.श्री पं.श्री उ.श्री उ.श्री विजय पद्म सि अमृत लावण्य विज्ञान विजय द्धि विजय विजय सूरिजी गणी वि गणी गणी ७५ आ.श्रीविजय आ.श्रीविजय दर्शनसूरिजी उदयसूरी | श्वरजी । । । । । ज नि म ण या यं म वि न क द ज न्द र य रूप प्र. गीर्वाण मा धन जित वा सं प्रे प्र विजय विजय न विजय विजय च प म भा वि । । स्प त वि व ज विमला विद्या ति वि ज य नन्द नन्द विजय विजय विजय ज य य 444 可即可 य गणी | न आनन्द जयन्त दक्ष विशुद्धानंद नरेन्द्र कमल विजय विजय विजय विजय विजय भरत विजय वि विवि विजय यह ज ज ज । य य य तिलकविजय । सुशीलविजय य रामविजय देवविजय खान्तिविजय पुण्यविजय For Private & Personal Use Only प्र. कस्तुरविजय वल्लभविजय निरंजनविजय धुरंधरविजय यशोभद्रविजय गुणचंद्रविजय हिमांशुविजय शुभंकरविजय सुमित्रविजय मोतिविजय मेहविजय कुमुदविजय ७६ आ. श्रीविजय नन्दनसूरिजी चिदानन्दविजय ७७ सोमविजय www.jainelibrary.org ७८ कनकविजय फफफफफफ शिवानन्दविजय अमरविजय वीरविजय उद्योतविजय मोक्षानन्दविजय ॥॥॥॥5555555555555555555555फ

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