Book Title: Tapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Author(s): Jayantilal Chottalal Shah
Publisher: Jayantilal Chottalal Shah

View full book text
Previous | Next

Page 118
________________ श्रमण वंशवृक्ष ईडरगढमां शांतिनाथनु; एम आ बघां स्थाने जिनमंदिर बंगव्यां. राजाए सिद्धगिरि, सीवंतगिरि (समेतशिखर हशे ?), श्रीशंखेश्वरजी, नंदीय (नांदिया), ब्राह्मणवाटक (बामणवाडा, प्रसिद्ध महावीर स्वामीन मंदिर ) आदि स्थानोना संघ काढी संघपति थया अने रथयात्रा पण कगवी हती. सम्राट् सम्प्रतिना धर्मगुरु आर्य सुहस्तिसूरि सो वषर्नु आयुष्य पाळी वीरनिर्वाण संवत् २९१मां स्वर्ग पधार्या. अने राजा २९३मा स्वर्गे गयो. सम्प्रतिए जैनधर्मनो खूब प्रचार को छे. टॅॉडराजस्थानना कर्ता कर्नल टॉड लखे छे के कमलमेरपर्वतर्नु शिखर, के जे समुद्र तलथी ३३५३ फूट उंचुं छे तेनी उपर एक प्राचीन सुंदर जिनमंदिर जोयु. आ मंदिर ए वखतनुं छे के ज्यारे मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्तनो वंशज सम्प्रति मरुदेशनो राजा हतो. तेणे आ मंदिर बंधाव्यु छे. मंदिरनी बांधणी अति प्राचीन अने बीजां अनेक जैन मंदिरोथी तदन विभिन्न छे. आ मंदिर पर्वत उपर बन्यु होवाथी हजी सुरक्षित छे. -(टॅॉडराजस्थान, हिन्दी, भा० १, खं० २, अ० २६, पृ० ७२१ थी ७२३). पाटलिपुत्रमा (पटणामां) अशोकनो पुत्र दशरथ (पुण्यरथ) राजा बन्यो. तेनी पछी वृद्धरथ (पुराणोमां एने बृहद्रथ कह्यो छे, ) गादीए बेठो. आ बने राजाओ बौद्ध धर्मी हता. वृद्धरथने तेना सेनाधिपति पुष्यमित्रे मारी गादी पोताना ताबे करी अने वीरनिर्वाण संवत् ३०४मां ए पाटलीपुत्रनो राजा बन्यो. ९ सुस्थित सुप्रतिबद्ध आर्यसुहरितमूरिजीनी पाटे आ बने आचार्यो थया छे. तेमणे उदयगिरि उपर क्रोडवारे सूरिमंत्रनो जाप को हतो तेथी निर्ग्रन्थगन्छनुं नाम कौटीकगच्छ पड्यु. आ आचार्यना समयमां प्रसिद्ध महामेघवाहन खारवेल थयेलो छे. विशालाना गणसत्ताक रायना मुख्य प्रधान–प्रेसीडेन्ट महाराजा चेटक, अजातशत्र-कोणिक साथेना युद्धमां, मराया पछी तेनो पुत्र शोभनराय पोताना श्वसुर कलिंगाधिपति सुलोचन पासे जाय छे. अने पछी त्यांनो ज राजा बने छे. शोभनराय पोताना पितानी माफक परम जैनधर्मी हतो. एणे कलींग देशमां आवेला कुमारी पर्वत उपर जई यात्रा करी आत्मकल्याण साध्यु हतुं. तेनी पांचमी पेढीए चंडराय कलिंगाधिपति थयो, जे वीरनिर्वाग संवत् १४९ मां कलिानी गादीए बेठो. चंडरायना समयमा पाटलीपुत्रमा आठमो नंद गादी उपर हतो. ए महालोभी अने अधर्मी हतो. तेणे कलिंग उपर चढाई करा कलिंगाने नभ्रष्ट कर्यु अने कुमारगिरि पर्वत उपर मगध सम्राट श्रेणिके बधावेल जिनमंदिर तोडी तेमांनी आदिनाथ भगवान्नी सुवर्ण प्रतिमाने पाटलीपुत्र उतावी गयो. १. तपगच्छ पट्टावली, श्री. जै. को. हेरल्ड. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


Page Navigation
1 ... 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142