Book Title: Tapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Author(s): Jayantilal Chottalal Shah
Publisher: Jayantilal Chottalal Shah
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श्री तपगच्छ
सूराचर्य तेओ गूजगतना राजा भीम बाणावलीना मामा अने प्रसिद्ध जैनाचार्य श्री द्रोणाचार्यजीना शिष्य थाय छे. सूराचार्य भीमदेवना सेनाधिपति संग्रामसिंहना पुत्र थता हता. बाल्यावस्थामां द्रोणाचार्य पासे दीक्षा लइ ढूंक समयमां ज तेओ प्रखर पंडित थया. अनुक्रमे पोताना पांडित्यनो प्रभाव गूर्जराधिश भीमदेव उपर पण पाड्यो. मालवाना प्रसिद्ध भोजराजे गूजरातनी समानुं एकवार अपमान कर्यु हतुं एनो सुंदर जवाब सूगचार्य ज आपो शक्या हता. तेमनी विद्वताथी आकर्षाई भोजे तेमने धारानगरीमा बोलाव्या. त्यां पण तेमणे जैनधर्मनेा प्रभाव पाड्यो. महामंत्री विमले आबुनां जिगप्रसिद्ध जैनमंदिरो बंधाव्यां.
ते वखते महेद्रमूरिजीए धागनगरीना सर्वदेवना पुत्र शोभनने दीक्षा आपो तेथी मालवामां जैनसाधुओनो विहार धनपाले भोजराजद्वारा बंध करायो हतो ते सूराचर्ये खोलान्यो. तेमना वखतमा शोभनाचार्य अने महाकवि धनपाल वगेरे प्रसिद्ध विद्वानो थया छे. विक्रमनी अगीयारमी शताब्दिना आ महान् आचार्य हता.
(२५) नरसिंहमूर्ति आ जैनशास्त्रना पारगामी अने महाविद्वान् हता. तेमणे नरसिंहपुरमां यक्षने उपदेश आपी मांसाहार छोडाव्यो, खोमाणा राजकुलने प्रतिबोध करी जैनधर्मी बनाव्यु अने ते बंशमांथी समुद्रकुमारने प्रतिबोधी दाक्षा आपी. पाछळथी ते समुद्रसूरि थया. तेमणे दिगंबराने वादमां हराबी नागहृदतीर्थ श्वेतांबरोना कबजामा कराव्यु. तेओ विक्रमनी दरामी शताब्दिना महान् आचार्य हता.
जिनेश्वरसूरे ___ आ राजगच्छीय श्रीअभयदेवसूरि-शिष्य अजितसे नसूरिना शिष्य हता. धारानो मुंजराज तेम्नो परम भक्त हतो. तेओ १०५०मां विद्यमान हता.
जिनवल्लभसूरि धारानो राजा नरवर तेमने बहुमाननी दृष्टिथी जोतो.
(३२) प्रद्युम्नसूरि मेवाडना राजा ढाल्ल (आलुराज)ना प्रतिबोधक आ आचार्य राजानी सभागां दिगम्बरी वादीने जीत्यो हतो. तेओ सपादलक्ष, त्रिभुवनगिरि आदि राजाओना प्रतिबोधक हता. आ नामना बीजा पण आचार्य थया छे. मेवाडराज-प्रतिबोधक आ ज आचार्य छे के बीजा एनो हजी हुँ निर्णय करी शक्यो नथी.
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