Book Title: Tapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Author(s): Jayantilal Chottalal Shah
Publisher: Jayantilal Chottalal Shah

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Page 68
________________ श्रमण वंशवृक्ष १९ सं. १९०२ मां महाप्रतापी मूलचन्दजी महाराजे तेमनी पासे दीक्षा लोधी अने एक वर्ष बाद ज बन्ने गुरु शिष्ये मुहपत्ति तोडी नाखी. अनेक धमकीओ वच्चे पंजाबमां बन्नेए सत्योपदेश करता घूमना मांडचं. सं. १९०८मां श्री वृद्धिचन्द्रजी दीक्षित थया. आ महाप्रतापी त्रिपुटी पंजाब छोडी, मारवाड व गूजरातमा सधर्म प्ररूपणा माटे आवी. सिद्धाचलजीनी यात्रा करी १९११ मां भावनगर चातुर्मास कर्यु. सं. १९१२ मां अमदावादमां श्री मणिविजयजी दादा पासे तेओए संवेगी दीक्षा स्वीकारी श्री मूलचंदजी अने श्री वृद्धिचंद्रजी तेमना शिष्य बन्या. गूजरातमां यतिओनुं साम्राज्य हतुं तेमना शिथिलाचार सामे सौए जेहाद बोलावी. आ पछी पुनः पंजाबमां गया. त्यां छ वर्ष सत्यधर्मनी प्रचार कर्यो. सं. १९२९ मां गूजरात पधार्या. सं. १९३२ मां स्था० समुदायमांथी बहार निकली साचा धर्मनी प्ररूपणा करता आत्मारामजी १८ साधुओ साथे गूजरातमां आल्या. मूलचंदजी महाराजना हाथे संवेगी दीक्षा लई ओ बुटेरायजी महाराजना शिष्य श्रया. आ साधुसमुदाये गूजरात बराबर खेडी नाख्युं. श्री बुटेरायजीने हवे पंजाब याद आवतो हतो. तेमणे मूलचंदजी महाराजने गूजरात भळाव्यं. काठियावाड वृद्धिचन्द्रजी महाराजने सांप्युं. श्री आत्मारामजी महाराजने पंजाब खेडवा आज्ञा करी ने नीतिविजयजी महाराजने सुरत तरफ मोकल्या. शिष्योए गुरुआज्ञाने परिपूर्ण करी सर्वत्र जैनधर्मनो डंको वगाड्यो. अलौकिक धर्मप्रेम, असीम आत्मश्रद्धा अने अजोड निःस्वार्थताथी ओपता आ बालब्रह्मचारी श्री बुटेरायजी महाराज आजनी साधु संस्थाना आदि जनक कहेवाय. एमनी निःस्पृहता अजब हती. समस्त जीवनमा एम जैनसमाजनो डंको वगडाववा बनतुं बधुं कर्तुं अने पोतानी पाछळ उज्ज्वळ शिष्य मंडळीने मुकता गया, जेमना नामे आजे पण समाज जयवंतो छे. तेमना शिष्यो ३५ हता ने आजे मना समुदायमा लगभग ४०० साधुओ छे.. आवा सत्यवीर बुटेरायजी महाराजनो स्वर्गवास सं. १९३८ मां थयो. वंदन हो ए सत्यवीरनी साधुताने ! श्रीमद् विजयकमलमूरीश्वरजी (पंजाबी) ( जुओ चित्र नं. २० ) अनेक मांसाहारीओने निरामीपाहारी बनावनार, प्रसिद्ध तीर्थोना उद्धारक, तटस्थतानी मूर्ति श्रीमद् विजयकमलसूरीश्वरजी महाराज महत्ताना अपूर्व अवतार हता. ओश्रीनो जन्म वि. सं. १९०८ मां पंजाबनी पुण्य धरा पर सरसा गाममां गौडब्राह्मण कुलमा यो हतो. तेमना पितानुं नाम रूपचंद अने मातानुं नाम जीताबाई हतुं. तेओश्रीनुं नाम रामलाल हतुं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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