Book Title: Tapagaccha Shraman Vansh Vruksh
Author(s): Jayantilal Chottalal Shah
Publisher: Jayantilal Chottalal Shah

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Page 35
________________ 555555 Jain Education International 555555555555555555555 ७५ सकलागमरहस्यवेदी आचार्य श्रीविजयदानसूरीश्वरजी महाराज (अनुसंधान पार्नु १५) [१८] ७६ आ. श्रीविजयप्रेमसूरिजी नायकविजयजी मंगलविजय मेधविजय मनोहरविजय केवलविजय पं. श्री जंबुविजयजी हेमंतविजय जिनविजय राजविजय भानुविजय प्रभाविजय ७७ उ. श्रीराम विजयजी पद्मविजय ७८ नीतिविजय रूपविजय रक्षितविजय चिदानंदविजय जयंतविजय रेवतविजय बाहुविजय For Private & Personal Use Only । । । ८ भुवन जस चारित्र विजय विजय विजय 42 End ७९ सुदर्शन विजय 习行可可 ७९ गौतमविजय वर्धमानविजय । ।।।। ।।।।।।।।। ।।।। ।।। ।।।।।।। र ल अ ध ति मा म क का नं सु भ म व मृ र कु सु रो मु न क पु ज हि म र क्षे ल लि मृ म ल न न न न्ति द बो दं ल ल गां ला मु हं हि क्ति र ल्या प य मां हो वि में वि त त वि क वि क क वि न ध क य भ क क द क त वि र ण वि वि शु द वि क ज वि वि ज वि ज वि वि ज वि वि र वि वि वि र वि र वि ज ल वि ज ज वि य ज र य ज ज य ज य ज ज य ज ज वि ज ज ज वि ज वि ज य वि ज य य ज वि य वि __ य य य य य य य ज य य य ज य ज य ज य य ज रमणिकविजय | ७९ महिमाविजय विवेकविजय ७९ सुबुद्धि हंस सोम पुण्य जयानन्द विजय विजय विजय विजय विजय ७९ हर्षविजय । सौभाग्यविजय चरणविजय ८० करविजय ७९ हेमविजय नरोत्तमविजय त्रिलोचनविजय लावण्यविजय www.jainelibrary.org FFFFFFFFFFFFFFF555555555555555555555555555555

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