Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 11
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर किसी का अनिष्ट या बुरा करने के उद्देश्य से कभी किसी को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। अगर लोभ, लालचवश आप किसी का बुरा करते हैं तो इसका फल आपको बाद में भोगना पड़ेगा। दीपक में घी व तेल का प्रयोजनगाय के दूध के घी का दीपक सर्व सिद्धि कारक, भैंस के घी का मारण में, ऊंटनी के घी का विद्वेषण में, भेड़ के घी का शांतिकर्म में, बकरी के घी का उच्चाटन में, तिल के तेल का सर्वसिद्धि में, सरसों तेल मारण में प्रयोग किया जाता है। बत्ती का महत्ववशीकरण में श्वेत बत्तियों का, विद्वेषण में पीत, मारण में हरी, उच्चाटन में केसरिया, स्तम्भन में काली, शान्ति के लिए सफेद रंग की बत्तियों का प्रयोग किया जाता है। दिशा विचार- पूर्व दिशा में दीपक का मुख रखने से सर्व सुख की प्राप्ति, स्तम्भन, उच्चाटन, रक्षण तथा विद्वेषण में पश्चिम दिशा की ओर, लक्ष्मी प्राप्ति के लिए उत्तराभिमुख तथा मारण में दक्षिणाभिमुख दीपक रखना चाहिए कलश में वस्तुएं रखने का महत्वसामान्यतः कलश को जल से भरते हैं। किन्तु विशेष प्रयोजन में विशेष वस्तुएं रखे जाने का विधान मिलता है। जैसे- धन लाभ हेतु मोती व कमल का प्रयोग करते हैं, विजय के लिए अपराजिता, वशीकरण के लिए मोर पंखी, उच्चाटन के लिए व्याघ्री, मारण के लिए काली मिर्च, आकर्षण के लिए धतूरा, भरने का विधान है। धूप विचार- मुख्यतः अगर, तगर, देवदारु, छरीला, गूगल, लौंग, लोबान, कपूर, चंदन, कस्तूरी, खस, नागरमोथा से धूप बनायी जाती है। माला का महत्वरुद्राक्ष माला पहनने से ब्लडप्रेशर नहीं होता, पपीते के बीज की माला पहनने से प्लेग नहीं होता, कमल बीज की माला पहनने से रोग नहीं होता, मूंगे की माला पहनने से रक्त वृद्धि व शुद्धि होती है। ध्यान दें- सोते समय माला धारण न करें प्रातः स्नान के बाद ही धारण करें। जपते समय सुमेरु का उल्लंघन न करें। अर्थात् माला पूरी होते ही लांघे नहीं बल्कि आँखों को लगाकर पुनः जाप प्रारम्भ करें। खंडित माला से जाप न करें। ------0---- 433

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