Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 31
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (10) कलंक निवारणार्थ- यदि अनावश्यक कलंक या अपयश मिल रहा हो तो दो मूली मंदिर में चढ़ायें, तथा सर्व कार्य सिद्धि मंत्र की जाप करें। (11) गृह क्लेश- घर में होने वाले क्लेश बन्द करने व सुख शांति के लिए गेहूँ शनिवार को पिसवाएँ तथा उसमें १०० ग्राम काले चने भी मिला लें। (12) दाम्पत्य तनाव- पति पत्नी में आपसी तनाव समाप्त करने के लिए महिला गुरुवार के दिन सूर्योदय पूर्व कच्चे दूध में हल्दी मिलाकर पीपल को सींचें तथा सवा मुट्ठी मूंग, चावल, कुमकुम, गुड़, वृक्ष पर चढ़ाये व पांच अगरबत्ती जलाये। (13) गृह क्लेश- जिनके घरों में अक्सर बिना बात कलह होती रहती है, वे सोमवार गुरुवार, शुक्रवार या शनिवार को एक मुट्ठी नमक, एक मुट्ठी गेहूँ, दो तांबे के सिक्के, सफेद कपड़े में बांधकर घर में रखे व शान्ति मंत्र की जाप करें तो गृह क्लेश दूर होगा। अथवा घर में पौंछा लगाने के पानी में एक चुटकी नमक डालकर पौंछा लगायें इससे नकारात्मक ऊर्जा खत्म होगी तथा क्लेश नष्ट होकर धन वृद्धि होगी। (14) परस्त्री के कारण गृहक्लेश- रविवार के दिन घर में गूगल जलाएं व अपने सिर के कुछ बाल भस्म कर पति को खिला दें। (15) गृह क्लेश- शनिवार को कबूतर की बीट का धुंआ घर में करें गृह क्लेश शांत होगा। __(56) मकान में खुशहाली (1) विघ्ननाशक:- हल्दी व चावल पीसकर मुख्य द्वार पर ॐ लिखें घर बाधामुक्त रहेगा। (2) नए मकान में खुशहाली:-चाँदी के नाग-नागिन, चाँदी का पतरा, ५ छोटी सुपारी ७ हल्दी की गाँठ लेकर तांबे की लुटिया में पानी डालकर सब चीजें रखें, उसे बन्द करके मुख्य द्वार के पश्चिम में दबायें। (57) गृह अशुद्धि पर (1) २१ दिन तक रोज ठीक सूर्य अस्त के समय गाय का आधा किलो कच्चा दूध (बिना गर्म किया हुआ) व उसमें ९ बूँद शुद्ध शहद (चासनी) की मिला कर एक अच्छे साफ सुथरे बर्तन में डालकर स्नान करके, शुद्ध वस्त्र पहन कर के एक दम ऊपर की छत से जो खुली जगह हो या जितने भी कमरें हों उन सब कमरों में उस दूध के छींटे देते हुए नीचे की सर्व खुली जगह व प्रत्येक कमरे में (हर तल्ले के) उस दूध के छींटे देते हुए सड़क पर मुख्य दरवाजे के बाहर उस दूध की धार देते हुए बांकि बचे दूध को वहीं गिरा दें धार के अन्दर छींटे देते समय अपने इष्ट देव का स्मरण अवश्य करते रहें। ऐसा २१ दिन करने से गृह शुद्धि होती है। 453

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