Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 45
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर श्रीफल, सिन्दूर, कपूर, ५ लौंग, ५ रुपये का सिक्का, ५ जायफल, अगर, तगर, गोरोचन, श्वेतकाली गुंजा मूल आदि को लक्ष्मी मंत्र की सात माला से मंत्रित करके धन स्थान में रखें तो धन वृद्धि होय। ( 22 ) शंख पुष्पी की जड़ पुष्य नक्षत्र में विधिवत् लाकर चांदी की डिब्बी में रखकर तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं होती। ___(67) धन लाभ (1) शनिवार को सायंकाल उड़द के दो साबुत दाने लेकर उन पर थोड़ा सा दही व सिन्दूर डालकर पीपल वृक्ष के नीचे 21 दिन तक नित्य रखें ध्यान रहे कि पीछे मुड़कर न देखें। इससे धन लाभ होता है। (2) यदि किसी की दुकान नजरा गई हो तो रविवार या मंगलवार के दिन दुकान पर सात मिर्च व बीच में एक नींबू पिरोकर प्रवेश द्वारा पर लगाने से नजर दूर हो जाती है। यदि मिर्च काली पड़ जाती हैं एवं नींबू का रस सूख जाता है तो समझें बुरी नजर लगी थी और उसका असर अब समाप्त हो गया है। (3) बहेड़ा (इसका वृक्ष महुए के वृक्ष जैसा होता है) रवि पुष्य नक्षत्र को इसकी जड़ व पत्ते एक साथ विधिवत लाकर पूजन के बाद लाल वस्त्र में लपेटकर तिजोरी या गुप्त संदूक में रखने से धन की कमी कभी नहीं रहती। (4) संपत्ति:- खच्चर का दांत पास में रखने से संपति बढ़ती है। (5) शंखपुष्पी की जड़ पुष्य नक्षत्र में लाकर चांदी की डिबिया में रख देव पूजन के समान ही पूजा करने से धन की वृद्धि होती है। लेकिन डिबिया को गुप्त स्थान में रखें। (6) लक्ष्मणा की जड़ बहुत उपयोगी होती है। रवि-पुष्य योग या किसी भी शुभ मुहूर्त में लाकर भली प्रकार धोकर शुद्धकर लें। फिर घर के पूजा-स्थल में रखकर नित्य पूजा करने से संतान प्रप्ति, विजय, कीर्ति, बाधा निर्वृति, धन वृद्धि होती है। यदि कोई सेवारत व्यक्ति सिंदूर के साथ इसकी जड़ को घिसकर तिलक धारण करें तो उस पर अधिकारियों की कृपा बनी रहती है। व्यवसाय के कार्यों में उन्नति के लिए बरगद का पत्ता पुष्य नक्षत्र में लाकर विधिवत् उसे लक्ष्मीनारायण मानकर पूजा करें। ऐसे वटपत्र यदि अश्लेषा नक्षत्र में लाकर अन्न भंडार में रख दिया जाए तो तिलहन, आढ़त और गल्ले के व्यापार में वृद्धि होती है। (8) यदि दुकान में बिक्री कम हो तो चौखट के ऊपर प्राण-प्रतिष्ठा किया हुआ श्री यंत्र 467

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