Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 80
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र होता है। ( 9 ) सैन्य स्तम्भन - श्मशान की राख को एक मिट्टी के बर्तन में भरकर शत्रु का नाम लेकर नील के रंग में रंगे हुए डोरे से उस बर्तन को बांधकर गाड़ देवें तो शत्रु की सैन्य का स्तम्भन हो जाता है । मुनि प्रार्थना सागर ( 10 ) मुख स्तंभन - चौलाइ की जड़ को चांदी के ताबीज में डालकर अपने मुंह में रखने से इच्छित व्यक्ति का मुख स्तंभित रहता है। ( 11 ) अग्नि स्तंभन - जलते हुए भट्ठे में घोड़े का खुर और बैंत की जड़ को डाल दिया जाय तो अग्नि का स्तंभन हो जाता है, फिर खाली धुआं उठता रहता है I ( 12 ) नौका स्तंभन तंत्र - शतावरी वृक्ष की पांच अंगुल प्रमाण की कील को नाव में डाल देने से नाव का स्तंभन हो जाता है अर्थात् बहती हुई नाव जहां की तहां रुक जाती है। ( 111 ) मारण संबंधी प्रयोग ( १ ) मरण टोटके- चार अंगुल परिमाण घोड़े की हड्डी को हूँ हूँ फट् स्वाहा मंत्र से सात बार अभिमंत्रित कर अश्विनी नक्षत्र में शत्रु के घर में दबा देने से शत्रु की परिजनों सहित मृत्यु हो जाती है। कृपया इस प्रकार के टोटकों को नहीं करें। (२) मानवहड्डी शत्रु के घर में या शत्रु का नाम लेकर श्मशान में दबा देने से शत्रु का निश्चित रूप से सर्वनाश होता है । निवेदन है कि इन टोटकों को नहीं करें। (112) उच्चाटन संबंधी प्रयोग (१) श्वेत लांगुलिका (एक प्रकार की औषधि) की जड़ जिसके भी घर में रखी जायेगी उसका उच्चाटन होगा, इसमें तनिक भी संशय नहीं हैं। (२) सरसों, हिंगुल, नीम के पत्ते, वच, सांप की कांचली की धूप बनाकर खेने से शाकिनी का उच्चाटन होता है और सभी प्रकार की ऊपर की बाधाएं दूर होती हैं। ( ३ ) उच्चाटन- सरसों व शिव पर चढ़ाए गए पुष्पादि जिस किसी के घर में दबाएं, वहां उच्चाटन होगा व पुनः निकालने से शांति होगी । (४) शत्रुता करवाने हेतु - भैंस और घोड़े का गोबर लेकर गौमूत्र से लेप बनाकर जिनमें, शत्रुता करवानी हो, उनका नाम लिख दें तो शीघ्र ही शत्रुता हो जाएगी। (लेकिन ऐसे पापवर्धक कार्य न करें ) । (५) उच्चाटन किराएदार को भगाना - किराएदार या अन्य व्यक्ति ने जबरदस्ती कब्जा कर रखा हो तो रविवार को उसके घर में कौए का पंख दबायें व उल्टा णमोकार मंत्र 502

Loading...

Page Navigation
1 ... 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96