Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 93
________________ मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर सांग बीज एक जात की बूटी होती है । उसके पत्ते की लुगदी में तांबा रखकर अग्नि में फूंके तो स्वर्ण बने । 3. 4. 5. 6. 7. 8. तन्त्र अधिकार 9. नागफड़ी की जड़ लेना, हथिनी का मूत्र लेना, उसमें सिन्दूर मिलाकर घोटना, फिर द्रव्य को अग्नि में धोकना तो सोना बनता है, यदि पुण्य योग हुआ तो । ( समयसार की टीकानुसार) शुद्ध हिंगुल का एक तोले का डला लेकर उस हिंगुल के डले को गोल बेंगन काला वाला को चीरकर उसमें रखकर ऊपर से कपड़ा लपेटकर, फिर मिट्टी का उस बेंगन पर खूब गाढ़ा लेप करें, फिर उस बेंगन को जंगली कंड़ों के अन्दर रखकर जलावें, जब कंड़ों की अग्नि जलकर शान्त हो जावे तब उस बेंगन को निकालें। बेंगन के अन्दर रखे उस हिंगुल के डले को भी निकालें । इसी तरह क्रमशः १०८ बैंगन में उस हिंगुल के डले को फूंके । यह रसायन तैयार हो गई । इसी रसायन में से एक रत्ती लेकर एक तोला तांबे के साथ मिलाकर कुप्पी में गलावें तो एक तोला सोना तैयार हो जाएगा, लेकिन णमोकार मंत्र का सतत् जप करना चाहिए। मंत्र जाप – “ ॐ नमो अरिहंताणं रसायनं सिद्धिं कुरू कुरू स्वाहा । " इस मंत्र का ४५०० बार जाप करें। पारद १ पल, हरताल १ पल और गंधक १ पल । इन द्रव्यों को लेकर विशेष रूप से मर्दन करें आकड़े के दूध में, फिर छाया में सुखाकर उसको सोना गलाने की कुप्पी में डालकर मुख को रूध करे, फिर अग्नि में फूकें, तब एक रसायन तैयार हो जायेगा। फिर उस रसायन को १ रत्ती, तोला भर तांबे के ऊपर प्रयोग करें तो शुद्ध सोना होता है । ( पूज्यपाद स्वामीकृत) गंधक से तांबा को मारकर हिंगुलक दोई समान, मनशिल लेप नींबूरस में मर्दन करें, सीसा के पतरा पर लेप करें, फिर रानगोबिरो के ६ पुट देवें अग्नि में, तो कुंकुमसार भस्म हो जायेगा । सोलह भाग चांदी पर वह एक भाग रसायन भस्म, लेकर कुप्पी में गलावें तो सोना होता है। गंधक, मद, पारा एकत्र कर खरल करें, दिवस २ शीशी में भरे, उकरडा में गाड़े मासा १ निकालकर एक तोला चांदी के साथ गलावे तो सोना होता है । शीशा को पहर चार अग्नि में देना, जब ठंडा होया तब तोला एक का पत्र बनाय कर, उसके ऊपर हिंगुल के रस में खरल कर पत्ते पर चुपड़कर दो दीए के बीच में रखकर बन्द करें, ऊपर कपरौटी करें, सुखावें, सेर एक जंगली कंड़े में उसको फूंके, जहां किसी की छाया न पड़े, जब ठंडा हो तब निकालना, इस भांति सात बार करें तब शीशे की भस्म बनेंगी, वेधक होय सो तोला एक चांदी भरें तो एक की मात्रा डालने से शुद्ध सोना बनेगा 5

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