Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 86
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र, यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर 21. आश्लेषा - इस नक्षत्र में अर्जुन वृक्ष का बान्दा लाकर बकरी के मूत्र में घिस कर जिस किसी भी व्यक्ति के सिर पर डाला जायेगा, वह आकर्षित होगा। सोमवार को जब यह नक्षत्र आये, बहेड़ा लाकर तिजोरी में रखे तो अटूट भंडार रहे। 22. उत्तरा फाल्गुनी- इस नक्षत्र में आम का बन्दा दाहिने हाथ पर बांधे तो सर्व वश हों, पति पत्नी में प्रेम हो । 23. पूर्वा फाल्गुनी - इस नक्षत्र में बहेड़ा के बान्दा का चूर्ण कर खायें तो भूत जायें । विधि-शुभ मुहुर्त में निम्नलिखित मंत्र का पूर्व की ओर मुंह करके सफेद माला से १० हजार जाप कर मंत्र सिद्ध कर लें । फिर उपरोक्त नक्षत्रों में किसी भी नक्षत्र के बान्दा का इस मंत्र को ९ बार जाप करके प्रयोग करें तो कार्य सिद्ध हो । मंत्र - ॐ नमो भगवते रुद्राय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीरं अमृतं कुरु कुरु स्वाहा । (122) लक्ष्मणा कल्प लक्ष्मणा लाने का मंत्र - ॐ नमो भगवते रूद्राय सर्ववंदनी त्रैलोक्य कास्तरणी हूं फट् स्वाहा । लक्ष्मण का पंचांग जल में पीसकर गोली बनायें । यह गोली मंत्र पढ़ कर जिसे भी खिलायी जाये वह वशी हो जायेगा और यदि मन्त्राभिषिक्त गोली प्रतिदिन गाय के दूध के साथ २१ दिन तक लगातार दोनों समय सेवन करें तो स्त्रीं के गर्भ रहे। (123) एकाक्षी नारियल कल्प १. मंत्र - ॐ ह्रीँ श्रीँ क्लीँ ऐं एकाक्षाय श्रीफलाय भगवते विश्वरूपाय सर्वयोगेश्वराय त्रैलोक्यनाथाय सर्वकार्य प्रदाय नमः । पूजन विधि- हाथ में पानी लेकर प्रथम संकल्प करें- अत्राद्य संवत् मिलाब्दे महामांगलाय फलप्रद - अमुक मासे अमुक पक्षे अमुकतिथी वासरे इष्ट - सिद्धये बहुधनप्राप्तये एकाक्षिश्रीफलपूजनमहं करिश्यामि । इस प्रकार कहकर पानी छींटे। फिर उपर्यक्त मंत्र बोलते हुए पंचामृत से श्रीफल का अभिषेक करें । चन्दन, पुष्प, धूप, दीप, चावल, फल, नैवेद्य रखे, रेशमी वस्त्र ओढ़ाए, पूजन करें। तत्पश्चात् स्वर्ण, प्रवाल या रुद्राक्ष की माला पर जाप शुरू करें । १२५०० जाप करें, फिर नित्य एक माला फेरें । दीपावली, सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण के समय पूजन करें । २. मंत्र - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं महालक्ष्मी स्वरूपाय एकाक्षिनालिकेराय नमः सर्वसिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा । विधि - यह मंत्र रेशमी वस्त्र के ऊपर अष्टगंध या केशर से अनार की कलम द्वारा लिखें । उस 508

Loading...

Page Navigation
1 ... 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96