Book Title: Tantra Adhikar
Author(s): Prarthanasagar
Publisher: Prarthanasagar Foundation

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Page 82
________________ तन्त्र अधिकार मंन्त्र,यन्त्र और तन्त्र मुनि प्रार्थना सागर (114) रूद्राक्ष कलप __ भोग और मोक्ष की इच्छा रखने वाले चारों वर्गों के लोगों को रूद्राक्ष धारण करना चाहिए। उत्तम रूद्राक्ष असंख्य पाप समूहों का भेदन करने वाला है। जो रूद्राक्ष गुंजाफल के समान बहुत छोटा होता है, वह सम्पूर्ण मनोरथों और फलों को सिद्धि करने वाला होता है। रूद्राक्ष जैसे-जैसे छोटा होता है, वैसे-वैसे अधिक फल देने वाला होता है। एक-एक बड़े रूद्राक्ष से एक-एक छोटे रूद्राक्ष को विद्वानों ने दस गुना अधिक फल देने वाला बताया है। जिस रूद्राक्ष में अपने आप ही डोरा पिरोने योग्य छिद्र हो गया हो वही उत्तम माना जाता है। जिसमें मनुष्य के प्रयत्न से छेद किया गया हो वह मध्य श्रेणी का होता है। ___ छह मुखी रूद्राक्ष की माला कान में बारह की हाथ में पन्द्रह की भुजा में, बाईस की मस्तक में, सत्ताईस की गले मे, बत्तीस की कंठ में (जिससे झूल कर वह हृदय को स्पर्श करती रहे) धारण करनी चाहिए। छह मुखी रूदाक्ष दाहिने हाथ में, सात मुखी कंठ में, आठ मुखी मस्तक में, नौ मुखी बायें हाथ में, चौदह मुखी शिखा में, बारह मुख वाले रूद्राक्ष को केश प्रदेश में धारण करना चाहिए। इसके धारण करने से आरोग्य लाभ, सात्विक प्रवृत्ति का उदय, शक्ति का आविर्भाव, और विघ्न नाश होता है। (115) मयूर शिखा कल्प। ___ जहां मयूर शिखा हो, अष्टमी, चतुर्दशी, पुष्य नक्षत्र या हस्त नक्षत्र, दीपावली के दिन वहां जाकर चावल व तिल को निम्न लिखित मंत्र से 21 बार अभिमंत्रित कर उस पर डालें। मंत्र - ॐ ही मयूर शिखा महासुख सर्वकार्यं साधय साधय स्वाहा। 1. मयूर शिखा की जड़ को हाथ में बांध कर जिसके पास जाएं और कुछ मांगे तो उसके पास जो होगा, वह देगा। 2. मयूरशिखा की जड़ को हाथ में बांधकर जाएं तो विवाद में जय हो। 3. मयूरशिखा की जड़ को धूप देकर हाथ में बांधे तो हर तरह का ज्वर–नाश हो। 4. मयूर शिखा की जड़ को तिजोरी में रखें तो अखंड भंडार रहे। (116) सहदेवी कल्प विधि- जब वृक्ष को न्यौता देने जाए तो सर्वप्रथम “मम कार्य सिद्धिं कुरू कुरू स्वाहा' मंत्र से पूजा करके जल चढ़ाएं एवं मौली बाँधकर निमंत्रण दे आएं। दूसरे दिन 504

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